"दिल्ली सल्तनत": अवतरणों में अंतर

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१२०६ में गोरी की हत्या [[शिया]] मुसलमानों की शह पर हिन्दू [[खोखर|खोखरों]] द्वार कर दी गई।<ref>[http://www.britannica.com/EBchecked/topic/396618/Muizz-al-Din-Muhammad-ibn-Sam Muʿizz al-Dīn Muḥammad ibn Sām] Encyclopedia Britannica (2011)</ref> गोरी की हत्या के बाद उसके एक तुर्क गुलाम (या ममलूक, अरबी: مملوك) कुतुब-उद-दीन ऐबक ने सत्ता संभाली और दिल्ली का पहला सुल्तान बना।<ref name=pj03/>
 
सल्तनत काल part 1st
 
सल्तनत काल
इस्लाम का उदय -
. संस्थापक - मुहम्मद हजरत
जन्म - 570ई.
लालन पालन - अबू तालिब (चाचा)
आत्मज्ञान की प्राप्ति - 610ई. में 40 वर्ष की आयु में, पैगम्बर कहलाए.
.हिजरत / हिजरा - 622ई. में मक्का को छोड़कर मदीना (थासारिब) जाने की क्रिया.
. 632ई. मृत्यु
 
. खलीफा - मो. साहब के उत्तराधिकारी
प्रथम खलीफा - अबू बक्र (प्रिय शिष्य) 633 ई. में नियुक्त
वंश - उम्ययद वंश (633 - 750 ई.) (18 खलीफा)
1. अबू वक्र (पवित्र खलीफा)
2. उमर खलीफा (आदर्श खलीफा)
3. उस्मान
4. अली (मदीना से कूफा (दमिश्क) राजधानी परिवर्तन)
 
. पाँचवे खलीफा मुअव्विया ने खलीफा पद को पैतृक बना दिया.
. 18वां खलीफा मानवान II था, जिसको युद्ध में अब्दुल अब्बासी ने हरा कर अब्बासी वंश की स्थापना की.
. इन दोनों के मध्य 25 जनवरी 750 ई. में "जब का युद्ध" हुआ, जिससे अब्बासी वंश की स्थापना हुई.
 
अब्बासी वंश -
संस्थापक - अबुल अब्बास
राजधानी - कूफा की जगह बग़दाद को बनाया.
.500 वर्ष तक शासन करने के बाद 8वें खलीफा के बाद वर्चस्व खत्म. इस वंश के कुल 37 खलीफा हुए जो 750 ई. Me स्थापित हुआ था.
. प्रथम विश्व युद्ध के बाद खलीफा पद समाप्त हो गया.
 
 
सिंध पर अरब आक्रमण -
 
कारण -
1. धर्म व साम्राज्य विस्तार - खलीफा उमर के समय 636 ई. में बम्बई के निकट थाने नामक स्थान पर धार्मिक प्रसार व साम्राज्य विस्तार हेतु आक्रमण किया गया जो कि असफल रहा.
2. आर्थिक कारण - अरबों का भारत में प्रथम आगमन दक्षिण पश्चिमी तट मुख्यतः केरल में व्यापार के लिए हुआ था. अतः अरब लोग यहाँ की संपन्नता से अवगत थे.
3. राजनैतिक कारण - छोटे छोटे राज्यों का उदय व स्वयं का वर्चस्व स्थापित करने का प्रयास, राजनैतिक एकता को खंडित कर रहा था.
4. मकरान विजय (बलूचिस्तान) - 8वीं सदी (711 ई.) में मकरान की विजय ने सिंध पर आक्रमण का मार्ग प्रशस्त किया.
 
5.तात्कालिक कारण -
. लंका के राजा ने इस्लाम कबूल करने के बाद खलीफा (वालिद / वाहिद) को उपहार स्वरूप धन से सुसज्जित एक जहाज भेजा, परन्तु मार्ग में सिंध में थट्टा के निकट समुद्री लुटेरों ने उस जहाज को लूट लिया.
. पूर्वी प्रांतों का सूबेदार अल हज्जाज इस घटना से असंतुष्ट हुआ और उसने सिंध के राजा दाहिर से हर्जाना मांगा.
. दाहिर ने समुद्री लुटेरों के कार्य का उत्तरदायित्व लेने से मना कर दिया तथा हर्जाना देने से मना कर दिया.
. अतः हज्जाज ने खलीफा से अनुमति प्राप्त कर सिंध पर आक्रमण की योजना बनाई.
. इस समय सिंध की राजधानी 'आहोर /आलोर /रोहरा' थी, तथा राजा दाहिर था.
. हज्जाज ने सिंध पर आक्रमण हेतु सर्वप्रथम उबैदुल्ला के नेतृत्व में भेजी, जिसमें उबैदुल्ला पराजित हुआ व मारा गया.
. 711 ई. में हज्जाज ने 17 वर्षीय मुहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में सिंध पर आक्रमण हेतु सेना भेजी.
. MBK ने मकरान (बलूचिस्तान) विजय के बाद देवल व निरुन के किलों को जीता व सीसम के जाटों को परास्त किया. इसी समय MBK की सेना में बीमारी फैल गई परन्तु दाहिर ने इसका लाभ नहीं उठाया. और हज्जाज द्वारा भेजी गयी औषधियों व सैनिक सहायता मिल जाने से MBK ने पुनः अपनी स्थिति सुदृढ़ कर ली.
. 20 जून 712 ई. को दाहिर व MBK के बीच 'रावर का युद्ध' हुआ जिसमें दाहिर मारा गया.
. दाहिर की मृत्यु के बाद उसकी विधवा 'रानी बाई' ने रावर के दुर्ग की रक्षा की. परन्तु अंत में रानी बाई ने अपने सतीत्व की रक्षा के लिए जौहर किया.
. रावर के युद्ध में विजित होने के बाद 713 ई. में MBK मुल्तान की ओर बढ़ा, और एक विश्वासघाती द्वारा जलधारा का मार्ग बताने के कारण किले ने आत्मसमर्पण कर दिया.
. मुल्तान से अरबों को इतना सोना मिला कि उसका नाम "सोने का नगर" रखा गया.
. चचनामा (अरबी भाषा) - लेखक अज्ञात,
फारसी अनुवाद - अबू बक्र कूफी (नसीरुद्दीन खुबाचा / ख्वाजा के समय),
अंग्रेजी अनुवाद - दाउदयोटा
. चचनामा व मीर मासूम के अनुसार दाहिर की दो अविवाहित पुत्रियाँ "सूर्य देवी" व "परमल देवी" थीं जिन्हें धन के साथ खलीफा के पास भेजा गया.
. इन दोनों की शिकायत पर ही खलीफा ने MBK को मृत्युदंड दिया था.
. खलीफा को इस षड़यंत्र का पता चलने के बाद उसने दाहिर की दोनों पुत्रियों को मरवा दिया.
. बिलादुरी की पुस्तक "कीतब-उल-फुतुह-अल-वलदान "से भी सिंध आक्रमण की जानकारी मिलती है.
. भारत में सर्वप्रथम जजिया की वसूली MBK ने ही की थी.
. चचनामा अरब आक्रमणों का सर्वाधिक प्रामाणिक स्त्रोत है. इसकी रचना किसी अज्ञात सैनिक ने अरबी भाषा में की थी. इसका फारसी अनुवाद अबू वक्र कूफी ने (नसीरुद्दीन कुबाचा के समय) किया. और अंग्रेजी अनुवाद दाउद पोटा ने किया.
. अरबों ने सिंधु नदी के तट पर महफूज़ा नगर बसाया. भारतीयों ने अरबों से खजूर की खेती और ऊँट पालन सीखा व अरबों ने भारतीयों से अंक प्रणाली सीखी.
. अरबों ने दिरहम नामक सिक्के (bronze) का प्रचलन भारत में किया.
. अरब खगोलशास्त्री अबु मासर ने 10 वर्ष तक बनारस में खगोलशास्त्र का अध्ययन किया.
. 871 ई. तक सिंध में खलीफाओं की सत्ता लगभग समाप्त सी हो गई थी और सिंध का मुल्तान व मंसुरा नामक दो अरब राज्यों में विभाजन हो गया.
 
महमूद गज़नवी v भारत पर तुर्कों का आक्रमण -
. अल्पतगीन ने 963 */962 ई. में गजनी /यामिनी वंश की स्थापना की.
. यामिनी वंश जिसे गजनी वंश भी कहते हैं, ईरान के शासकों की ही एक शाखा थी. अरब आक्रमण के समय इस वंश के शासक तुर्किस्तान भाग गए और तुर्कों के साथ इतने घुल मिल गए कि उनके वंशज तुर्क कहलाए.
. अल्पतगीन ने गजनी साम्राज्य की स्थापना 963 ई. में की तथा इसी ने अबू बक्र से गजनी छीना. तभी से गजनी इस वंश की राजधानी बन गया.
. इस समय भारत के उत्तर पश्चिम में हिन्दूशाही राजवंश था, जिसने तुर्कों से काबुल छीन लिया था. इसी कारण गजनी और हिन्दूशाही राज्य की सीमाएँ आपस में टकराने लगी थी.
. हिन्दूशाही राजवंश का योग्य शासक जयपाल था, जो भारत की उत्तरी पश्चिमी सीमा पर किसी मुस्लिम राज्य के स्थापित होने की आहट महसूस कर रहा था. अतः इसने गजनी वंश के खिलाफ आक्रमणकारी नीति अपनाई.
. जब पिराई के हाथ में सत्ता थी तभी जयपाल ने अपने पुत्र के नेतृत्व में एक सेना गजनी पर आक्रमण हेतु भेजी. परन्तु सुबुक्तगीन के प्रयासों से यह सेना परास्त हुई.
. 977 ई. में सत्ता सुबुक्तगीन के हाथ में आने गई और इसी के समय से गजनी और हिन्दूशाही राज्य का एक लंबा संघर्ष प्रारम्भ हुआ.
. 977 ई. में सुबुक्तगीन ने बामियान, तुर्किस्तान तथा गौर को जीता.
. उतबी ने सुबुक्तगीन के आक्रमणों को जेहाद बताया है.
. जयपाल ने सुबुक्तगीन के समय स्वयं गजनी पर आक्रमण किया परन्तु भीषण तूफान से इसकी सेना छिन्न भिन्न हो गई, अतः जयपाल ने संधि की.
. पुनः लौटकर जयपाल ने संधि की शर्तों को मानने से इंकार कर दिया. अतः सुबुक्तगीन ने जयपाल के राज्यों की सीमाओं पर आक्रमण किया व लमघान तक अधिकार कर लिया.
. 997 ई. में सुबुक्तगीन की मृत्यु हो गई तथा सत्ता इसके छोटे पुत्र इस्माईल को मिली. जिसे सुबुक्तगीन ने उत्तराधिकारी नियुक्त किया था.
. सुबुक्तगीन के बड़े पुत्र महमूद ने 7 माह बाद इस्माइल को परास्त कर सत्ता अपने हाथों में ले ली.
. अतः 998 ई. में सुल्तान गजनवी, गजनी का शासक बना. इतिहासकारों ने मुस्लिम इतिहास में महमूद को सर्वप्रथम सुल्तान माना है, तथा इसके सिक्कों पर अमीर महमूद अंकित करवाया.
. बग़दाद के खलीफा अल-कादिर-बिल्लाह ने 999 ई. में महमूद को यामिन-उद-दौला (साम्राज्य का दाहिना हाथ) तथा अमीन-उल-मिल्लत अर्थात् मुसलमानों का संरक्षक उपाधियाँ प्रदान की.
 
गजनवी की विजयें -
1000 ई. सीमावर्ती किले
1001 ई. - जयपाल (आत्मदाह कर लिया) >आनंदपाल >त्रिलोकपाल >भीमपाल
1006 ई. - मुल्तान (फतेह दाउद)
1008-09 ई. - वैहन्द का युद्ध ( गजनवी v/s आनंदपाल
1008-09 ई. - नगरकोट (H. P.)
1014 ई. - थानेश्वर (चकस्वामी का मन्दिर)
1016-18 ई. - कन्नौज, मथुरा, वृंदावन (राजपाल)
1019 ई. - बुंदेलखंड (चंदेल वंश - विद्याधर)
1025 ई. - सोमनाथ (15वां आक्रमण) - भीम प्रथम (अन्हिलवाड़)
1027 ई. - खोक्खर जाट
 
 
महमूद गजनवी के भारत आक्रमण के कारण -
1. इस्लाम की प्रतिष्ठा स्थापित करना
2. धन की लालसा
3. पड़ौसी हिन्दू राज्यों को नष्ट करना.
4. साम्राज्य विस्तार व महत्वाकांक्षी होना.
5. A. B. पाण्डे के अनुसार - भारत से हाथी प्राप्त करना भी उसका एक लक्ष्य था, जिनका उपयोग वह मध्य एशिया के शत्रु राज्यों के विरुद्ध करना चाहता था.
 
Note. - महमूद का उद्देश्य इस्लाम के प्रचार प्रसार से अधिक धन प्राप्ति करना था. क्योंकि यदि इस्लामी प्रचार प्रसार उसका उद्देश्य होता तो वह ईरान व ट्रांस ऑक्सि‍याना के मुस्लिम राज्यों पर आक्रमण नहीं करता.
 
महमूद गजनवी के आक्रमण -
. महमूद ने 11वीं शताब्दी में भारत पर आक्रमण किये. सर हेनरी इलियट के अनुसार महमूद ने 1000 से 1027 ई. तक भारत पर 17 बार आक्रमण किये.
. प्रथम आक्रमण 1000 ई. में सीमावर्ती किलों पर किया. दूसरा आक्रमण 1001 ई. में हिन्दूशाही शासक जयपाल पर कर उसे परास्त किया. जयपाल ने अपमानित महसूस करने के कारण आत्मदाह कर लिया.
. हिंदी शायरी वंश में जयपाल के बाद आनंदपाल, त्रिलोचनपाल, भीम पाल उत्तराधिकारी हुए.
. अन्ततोगतवा हिंदू शाही वंश नष्ट हो गया और संपूर्ण पंजाब पर महमूद का अधिकार हो गया.
. 1006 में महमूद ने शिया समुदाय के अनुयायी फतेह दाउद से मुल्तान जीता.
. 1008-1009 में वैहन्द (उद्भाण्डपुर} के युद्ध में आनंदपाल को परास्त किया.
. 1008-09 में ही नगरकोट (HP.) को लूटा.
. 1014 में थानेश्वर के चक्रस्वामी मंदिर को लूटा.
. 1016-18 में मथुरा व कन्नौज पर आक्रमण किये. इस समय कन्नौज में गुर्जर प्रतिहार वंश का शासक राज्‍यपाल था जो बिना युद्ध किए ही भाग गया.
.बुंदेलखंड के शासक विद्याधर ने "गण्ड" (हिन्दु शासकों का एक मित्र संघ) बनाया किसका उद्देश्य राज्यपाल को दंड देना था. क्योंकि राज्यपाल युद्ध में पीठ दिखा कर भाग गया था.
. महमूद ने यह जान कर बुंदेलखंड पर 1019 में आक्रमण किया तब विद्याधर स्वयं वहाँ से भाग गया.
. महमूद ने 1025 में सोमनाथ (काठियावाड़ गुजरात) पर आक्रमण किया. सोमनाथ समुद्र तट पर स्थित एक शिव मन्दिर था. काठियावाड़ की राजधानी अन्हिलवाड़ थी तथा शासक भीम प्रथम था. (यह 15वां आक्रमण था)
. सोमनाथ को लूट कर जाते समय सिंध के खोक्खर जाटों ने उसे बहुत परेशान किया. अतः महमूद ने 1027 में जाटों पर आक्रमण कर दिया. यह महमूद का भारत पर अन्तिम आक्रमण था.
. उतबी ने मथुरा के वैभव के बारे में लिखा है कि, "महमूद ने एक ऐसा शहर देखा जिसका वैभव किसी स्वर्ग के समान है, कृष्ण जन्म भूमि होने के कारण मथुरा को हिंदुओं का 'बेथलेहम' कहा जाता था".
. महमूद गजनवी को मूर्ति भंजक / बुतशिकन भी कहा जाता था.
. उतबी ने तारीक-ए-यामिनी (कीतब-उल-‍यामिनी) की अरबी भाषा में रचना की.
. फिरदौसी ने फारसी ग्रंथ शाहनामा (फारसी भाषा में) लिखा.
. फ़िरदौसी को पूर्व का होमर भी कहा जाता है. दरबार में अपमानित किए जाने पर फ़िरदौसी ने आत्महत्या कर ली.
. बैहाकी ने फारसी में तारीक-ए-सुबुक्तगीन ग्रंथ की रचना की.
. बैहाकी को लेनपुल ने पूर्व का पेप्स की उपाधि दी.
. तुर्कों द्वारा एक विशेष प्रकार का धनुष काम में लिया जाता था जिसे नावक कहते थे.
 
 
अलबरुनी -
. अलबरुनी का जन्म 973 ई. में खीवा में हुआ.
. अलबरुनी ने "तहकीक-ए-हिन्द" (किताब-उल-हिन्द) की रचना अरबी भाषा में की.
. महमूद गजनवी ने जब खीवा पर आक्रमण किया और जीता तब अलबरुनी को बन्दी बनाया गया.
. महमूद गजनवी जब भारत पर आक्रमण करने आया तो अलबरुनी उसके साथ था.
. अलबरुनी पुराणों का अध्ययन करने वाला प्रथम मुसलमान था.
. अलबरुनी ने भारत में संस्कृत, ज्योतिषशास्त्र का अध्ययन किया.
. इसने उत्तर भारत के राज्यों के बारे में लिखा, परन्तु दक्षिण भारत के किसी राज्य के बारे में नहीं लिखा.
. इसके अनुसार भारत में वैष्णव संप्रदाय सर्वाधिक प्रचलित था.
. इसने अधिकतर सती प्रथा के बारे में लिखा है.
. महमूद ने हिंदुओं के बारे में भी लिखा. सेवन्दराय व तिलक नामक लोगों को उच्च पदों पर नियुक्त किया गया.
. गजनी वंश का अंतिम शासक मलिक खुसरव था.
. अलबरुनी को यूनानी भाषा का ज्ञान नहीं था, वह संस्कृत व अरबी भाषा का ज्ञानी था.
 
 
 
. E. B. हेवेल के अनुसार, " यदि बगदाद को लूटने से महमूद को अपार धन की प्राप्ति की आशा होती तो वह उसे भी उतनी ही क्रुरता से लूट का जैसे सोमनाथ को लूटा था.
. महमूद गजनवी की मृत्यु के पश्चात उसके पुत्रों में उत्तराधिकार के लिए युद्ध हुआ जिसमें मसूद की विजय हुई.
. मसूद ने 1030-40 तक शासन किया.
. परंतु मसूद के बाद आंतरिक संघर्ष व एक के बाद एक अयोग्य शासक होने की वजह से गजनी वंश दुर्बल हो गया और इसी समय मध्य एशिया में दो नवीन शक्तियों का उदय हुआ पहली ख्वारिज्‍म और गौर प्रदेश.
. गौर प्रदेश के लोगों का पेशा कृषि था. हालांकि वह घोड़े पालन वस्त्र बनाने का कार्य भी करते थे.
. गौर के लोग बौद्ध धर्म को मानते थे परंतु जब महमूद गजनवी ने गौर को जीता तो वहां के निवासियों को जबरन इस्लाम कबूल करवाया.
. गजनवी वंश के शासकों के दुर्बल हो जाने पर गौर ने संघर्ष किया और विजय भी रहे.
. 1155 ई. में अलाउद्दीन हुसैन (गौर) ने गजनी को जलाकर नष्ट कर दिया अतः जहासोज कहलाया.
. 1163-1202 में ग्यासुद्दीन गौर का शासक बना रहा.
. इसके छोटे भाई शहाबुद्दीन ने गजनी को जीता, अतः गयासुद्दीन ने गजनी का राज्य शिहाबुद्दीन को ही दे दिया.
. वह शिहाबुद्दीन उर्फ मुइजुद्दीन मुहम्मद गौरी था जिसने 12वीं सदी में भारत में आक्रमण कर अपना राज्य स्थापित किया.
 
== वंश ==