"भवाली": अवतरणों में अंतर

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'''भवाली''' या '''भुवाली''' [[उत्तराखण्ड]] राज्य के [[नैनीताल जिला|नैनीताल जनपद]] में स्थित एक नगर है। यह [[कुमाऊँ मण्डल]] में आता है। शान्त वातावरण और खुली जगह होने के कारण 'भवाली' कुमाऊँ की एक शानदार नगरी है। यहाँ पर फलों की एक मण्डी है। यह एक ऐसा केन्द्र - बिन्दु है जहाँ से काठगोदाम हल्द्वानी और नैनीताल, अल्मोड़ा - रानीखेत भीमताल - सातताल और रामगढ़ - मुक्तेश्वर आदि स्थानों को अलग - अलग मोटर मार्ग जाते हैं।
 
भवाली नगर अपने प्राचीन टीबी सैनिटोरियम के लिए विख्यात है, जिसकी स्थापना १९१२ में हुई थी। चीड़ के पेड़ों की हवा टी. बी. के रोगियों के लिए लाभदायक बताई जाती है। इसीलिए यह अस्पताल चीड़ के घने वन के मध्य में स्थित किया गया। [[कमला नेहरू |श्रीमती कमला नेहरू]] का इलाज भी इसी अस्पताल में हुआ था। भवाली चीड़ और वाँस के वृक्षों के मध्य और पहाड़ों की तलहटी में १६८० मीटर की ऊँचाई में बसा हुआ एक छोटा सा नगर है। भवाली की जलवायु अत्यन्त स्वास्थ्यवर्द्धक है। भवाली में ऊँचे-ऊँचे पहाड़ हैं। सीढ़ीनुमा खेत है। सर्पीले आकार की सड़कें हैं। चारों ओर हरियाली ही हरियाली है। घने वाँस - बुरांश के पेड़ हैं। चीड़ वृक्षों का यह तो घर ही है। और पर्वतीय अंचल में मिलने वाले फलों की मण्डी है।
 
ज्योलिकोट से जैसे ही गेठिया पहुँचते हैं तो चीड़़ के घने वनों के दर्शन हो जाते हैं। गेठिया से टी. बी. सेनिटोरियम का अस्पताल है। मुख्य अस्पताल गेठिया से आगे पहाड़ी की ओर चोटी पर स्थित है। सन् १९१२ में भवाली के टी. बी. सेनिटोरियम कहलाता है। गेठिया सेनिटोरियम इसी अस्पताल की शाखा है। चीड़ के पेड़ों की हवा टी. बी. के रोगियों के लिए लाभदायक बताई जाती है। इसीलिए यह अस्पताल चीड़ के घने वन के मध्य में स्थित किया गया।
 
भवाली सेनिटोरियम के फाटक से जैसे ही आगे बढ़ना होता है, वेसे ही मार्ग ढलान की ओर अग्रसर होने लगता है। कुछ देर बाद एक सुन्दर नगरी के दर्शन होते हैं। यह भवाली है। भवाली चीड़ और वाँस के वृक्षों के मध्य और पहाड़ों की तलहटी में १६८० मीटर की ऊँचाई में बसा हुआ एक छोटा सा नगर है। भवाली की जलवायु अत्यन्त स्वास्थ्यवर्द्धक है।
 
 
 
भवाली में ऊँचे-ऊँचे पहाड़ हैं। सीढ़ीनिमा खेत है। सर्फीले आकार की सड़कें हैं। चारों ओर हरियाली ही हरियाली है। घने वाँस - बुरांश के पेड़ हैं। चीड़ वृक्षों का यह तो घर ही है। और पर्वतीय अंचल में मिलने वाले फलों की मण्डी है।
 
== पर्यटन ==
[[चित्र:Golu Ghorakhal.JPG|अंगूठाकार|left|गोलू देवता मंदिर, [[घोडाखाल, नैनीताल तहसील|घोड़ाखाल]], भवाली]]
'भवाली' नगर भले ही छोटा हो परन्तु उसका महत्व बहुत अधिक हैं। भवाली के नजदीक कई ऐसे ऐतिहासिक स्थल हैं, जिनका अपना महत्व है। यहाँ पर कुमाऊँ के प्रसिद्ध गोलू देवता का प्राचीन मन्दिर है, तो यहीं पर घोड़ाखाल नामक एक सैनिक स्कूल भी है। 'शेर का डाण्डा' और 'रेहड़ का डाण्डा' भी भवाली से ही मिला हुआ है। भीमताल, नौकुचियाताल, मुक्तेश्वर, रामगढ़ अल्मोड़ा और रानीखेत आदि स्थानों में जाने के लिए भी काठगोदाम से आनेवाले पर्यटकों, सैलानियों एवं पहारोहियों के 'भवाली' की भूमि के दर्शन करने ही पड़ते हैं - अतः 'भवाली' का महत्व जहाँ भौगोलिक है वहाँ प्राकृतिक सुषमा भी है। इसीलिए इस शान्त और प्रकृति की सुन्दर नगरी को देखने के लिए सैकड़ों - हजारों प्रकृति - प्रेमी प्रतिवर्ष आते रहते हैं।
 
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== आवागमन ==
'भवाली' नगर के बस अड्डे से एक मार्ग चढ़ाई पर [[नैनीताल]], [[काठगोदाम]] और [[हल्द्वानी]] की ओर जाता है। दूसरा मार्ग ढ़लान पर घाटी की ओर कैंची होकर [[अल्मोड़ा]], [[रानीखेत]] और [[कर्णप्रयाग]] की ओर बढ़ जाता है। तीसरा मार्ग भवाली के बाजार के बीच में होकर दूसरी ओर के पहाड़ी पर चढ़ने लगता है। यह मार्ग भी अगे चलकर दो भागों में विभाजित हो जाता है। दायीं ओर का मार्ग [[घोडाखाल, नैनीताल तहसील|घोड़ाखाल]], [[भीमताल (नगर)|भीमताल]] और [[नौकुचियाताल]] की ओर चला जाता है और बायीं ओर को मुड़ने वाला मार्ग [[रामगढ़, उत्तराखण्ड|रामगढ़]]-[[मुक्तेशवर, नैनीताल तहसील|मुक्तेश्वर]] अंचल की ओर बढ़ जाता है।
 
[[चित्र:Golu Ghorakhal.JPG|अंगूठाकार|गोलू देवता मंदिर, [[घोडाखाल, नैनीताल तहसील|घोड़ाखाल]], भवाली]]
 
 
==इन्हें भी देखें==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/भवाली" से प्राप्त