"ओंकारेश्वर मन्दिर": अवतरणों में अंतर

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* अमरेश्वर
 
ॐकारेश्वर का निर्माण [[नर्मदा नदी]] से स्वतः ही हुआ है। यह नदी भारत की पवित्रतम नदियों में से एक है और अब इस पर विश्व का सर्वाधिक बड़ा बांध परियोजना का निर्माण हो रहा है।
[[चित्र:Omkareshwar1.JPG|thumb|left|300px|ॐकारेश्वर में नर्मदा नदी]]
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जिस ओंकार शब्द का उच्चारण सर्वप्रथम सृष्टिकर्ता विधाता के मुख से हुआ, वेद का पाठ इसके उच्चारण किए बिना नहीं होता है।
 
इस ओंकार का भौतिक विग्रह ओंकार क्षेत्र है। इसमें 68 तीर्थ हैं। यहाँ 33 करोड़ देवता परिवार सहित निवास करते हैं तथा 2 ज्योतिस्वरूप लिंगों सहित 108 प्रभावशाली शिवलिंग हैं। मध्यप्रदेश में देश के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से 2 ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं। एक उज्जैन में महाकाल के रूप में और दूसरा ओंकारेश्वर में ममलेश्वर (अमलेश्वर) के रूप में विराजमान हैं।
 
== इतिहास ==
[[चित्र:Omkareshwar1.JPG|thumb|left|300px|ॐकारेश्वर में नर्मदा नदी]]
देवी [[अहिल्याबाई होलकर]] की ओर से यहाँ नित्य मृत्तिका के 18 सहस्र शिवलिंग तैयार कर उनका पूजन करने के पश्चात उन्हें नर्मदा में विसर्जित कर दिया जाता है। ओंकारेश्वर नगरी का मूल नाम 'मान्धाता' है।
 
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== मंदिर का इतिहास ==
इस मंदिर में शिव भक्त कुबेर ने तपस्या की थी तथा शिवलिंग की स्थापना की थी। जिसे शिव ने देवताओ का धनपति बनाया था Iथा। कुबेर के स्नान के लिए शिवजी ने अपनी जटा के बाल से कावेरी नदी उत्पन्न की थी Iथी। यह नदी कुबेर मंदिर के बाजू से बहकर नर्मदाजी में मिलती है, जिसे छोटी परिक्रमा में जाने वाले भक्तो ने प्रत्यक्ष प्रमाण के रूप में देखा है, यही कावेरी ओमकार पर्वत का चक्कर लगतेलगाते हुए संगम पर वापस नर्मदाजी से मिलती हैं, इसे ही नर्मदा कावेरी का संगम कहते है I # है।
===धनतेरस पूजन #===
इस मंदिर पर प्रतिवर्ष दिवाली की बारस की रात को ज्वार चढाने का विशेष महत्त्व है इस रात्रि को जागरण होता है तथा धनतेरस की सुबह ४ बजे से अभिषेक पूजन होता हैं इसके पश्चात् कुबेर महालक्ष्मी का महायज्ञ, हवन, (जिसमे कई जोड़े बैठते हैं, धनतेरस की सुबह कुबेर महालक्ष्मी महायज्ञ नर्मदाजी का तट और ओम्कारेश्वर जैसे स्थान पर होना विशेष फलदायी होता हैं) भंडारा होता है लक्ष्मी वृद्धि पेकेट (सिद्धि) वितरण होता है, जिसे घर पर ले जाकर दीपावली की अमावस को विधि अनुसार धन रखने की जगह पर रखना होता हैं, जिससे घर में प्रचुर धन के साथ सुख शांति आती हैं I इस अवसर पर हजारों भक्त दूर दूर से आते है व् कुबेर का भंडार प्राप्त कर प्रचुर धन के साथ सुख शांति पाते हैं I नवनिर्मित मंदिर
प्राचीन मंदिर ओम्कारेश्वर बांध में जलमग्न हो जाने के कारण भक्त श्री चैतरामजी चौधरी, ग्राम - कातोरा (गुर्जर दादा) के अथक प्रयास से नवीन मंदिर का निर्माण बांध के व् ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के बीच नर्मदाजी के किनारे २००६-०७ बनाया गया हैं I
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मन्दिर के अहाते में पंचमुख गणेशजी की मूर्ति है। प्रथम तल पर ओंकारेश्वर लिंग विराजमान हैं। श्रीओंकारेश्वर का लिंग अनगढ़ है। यह लिंग मन्दिर के ठीक शिखर के नीचे न होकर एक ओर हटकर है। लिंग के चारों ओर जल भरा रहता है। मन्दिर का द्वार छोटा है। ऐसा लगता है जैसे गुफा में जा रहे हों। पास में ही पार्वतीजी की मूर्ति है। ओंकारेश्वर मन्दिर में सीढ़ियाँ चढ़कर दूसरी मंजिल पर जाने पर महाकालेश्वर लिंग के दर्शन होते हैं। यह लिंग शिखर के नीचे है। तीसरी मंजिल पर सिद्धनाथ लिंग है। यह भी शिखर के नीचे है। चौथी मंजिल पर गुप्तेश्वर लिंग है। पांचवीं मंजिल पर ध्वजेश्वर लिंग है।
 
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चित्र:Omkartemple_ओंकारेश्वर_मन्दिर.jpg|मध्यप्रदेश में ओंकार मांधाता मन्दिर का बाहरी दृश्य
चित्र:Panchmukhiganesh_पंचमुखी_गणेश.jpg|ओंकारेश्वर मन्दिर में प्रथम तल पर स्थित ओंकारेश्वर लिंग के प्रवेशद्वार पर स्थित पंचमुखी गणेश का दृश्य
चित्र:Omkareshnandi_ओंकारेश्वर_नन्दी.jpg|ओंकारेश्वर मन्दिर में ओंकारेश्वर लिंग के प्रांगण में स्थित नन्दी का दृश्य
चित्र:Mahakalesh1_महाकालेश्वर.jpg|ओंकारेश्वर मन्दिर के द्वितीय तल पर स्थित महाकालेश्वर लिंग का दृश्य
चित्र:Mahakaleshnandia_महाकालेश्वर_नन्दी.jpg|ओंकारेश्वर मन्दिर के द्वितीय तल पर स्थित महाकालेश्वर लिंग के बाहर स्थित नन्दी का दृश्य
चित्र:Siddhnath_सिद्धनाथ.jpg|ओंकारेश्वर मन्दिर के तृतीय तल पर स्थित सिद्धनाथ लिंग का दृश्य
चित्र:Gupteshwar1_गुप्तेश्वर.jpg|ओंकारेश्वर मन्दिर के चतुर्थ तल पर स्थित गुप्तेश्वर लिंग का दृश्य
चित्र:Gupteshwar2_गुप्तेश्वर.jpg|ओंकारेश्वर मन्दिर के चतुर्थ तल पर स्थित गुप्तेश्वर लिंग की छत का दृश्य
चित्र:Dhwajeshwar1_ध्वजेश्वर.jpg|ओंकारेश्वर मन्दिर के पाचवें तल पर स्थित शिवलिंग का दृश्य।
चित्र:Dhwajeshwar2_ध्वजेश्वर.jpg|ओंकारेश्वर मन्दिर के पांचवें तल पर स्थित ध्वजेश्वर लिंग की छत का दृश्य
चित्र:Kedareshwarnandi_केदारेश्वर_नन्दी.jpg|ओंकारेश्वर मन्दिर के परिक्रमा क्षेत्र में स्थित केदारेश्वर मन्दिर के प्रांगण में स्थित नन्दी का दृश्य
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तीसरी, चौथी व पांचवीं मंजिलों पर स्थित लिंगों के ऊपर स्थित छतों पर अष्टभुजाकार आकृतियां बनी हैं जो एक दूसरे में गुंथी हुई हैं। द्वितीय तल पर स्थित महाकालेश्वर लिंग के ऊपर छत समतल न होकर शंक्वाकार है और वहां अष्टभुजाकार आकृतियां भी नहीं हैं। प्रथम और द्वितीय तलों के शिवलिंगों के प्रांगणों में नन्दी की मूर्तियां स्थापित हैं। तृतीय तल के प्रांगण में नन्दी की मूर्ति नहीं है। यह प्रांगण केवल खुली छत के रूप में है। चतुर्थ एवं पंचम तलों के प्रांगण नहीं हैं। वह केवल ओंकारेश्वर मन्दिर के शिखर में ही समाहित हैं। प्रथम तल पर जो नन्दी की मूर्ति है, उसकी हनु के नीचे एक स्तम्भ दिखाई देता है। ऐसा स्तम्भ नन्दी की अन्य मूर्तियों में विरल ही पाया जाता है।
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[[चित्र:Amleshwar अमलेश्वर.jpg|अंगूठाकार|ओंकारेश्वर में अमलेश्वर मंदिर का बाहरी दृश्य]]
 
अमलेश्वर भी ज्योतिर्लिंग है। अमलेश्वर मन्दिर अहल्याबाई का बनवाया हुआ है। गायकवाड़ राज्य की ओरसेओर से नियत किये हुए बहुत से ब्राह्मण यहीं पार्थिव-पूजन करते रहते हैं। यात्री चाहे तो पहले अमलेश्वर का दर्शन करके तब नर्मदा पार होकर औकारेश्वर जाय; किंतु नियम पहले ओंकारेश्वर का दर्शन करके लौटते समय अमलेश्वर-दर्शन का ही है। पुराणों में अमलेश्वर नाम के बदले विमलेश्वर उपलब्ध होता है।<ref>http://puranastudy.byethost14.com/pur_index26/pva13.htm</ref> अमलेश्वर-प्रदक्षिणा में वृद्धकालेश्वर, बाणेश्वर, मुक्तेश्वर, कर्दमेश्वर और तिलभाण्डेश्वरके मन्दिर मिलते हैं।
 
अमलेश्वरका दर्शन करके (निरंजनी अखाड़ेमें) स्वामिकार्तिक ( अघोरी नाले में ) अघेोरेश्वर गणपति, मारुति का दर्शन करते हुए नृसिंहटेकरी तथा गुप्तेश्वर होकर (ब्रह्मपुरीमें) ब्रह्मेश्वर, लक्ष्मीनारायण, काशीविश्वनाथ, शरणेश्वर, कपिलेश्वर और गंगेश्वरके दर्शन करके विष्णुपुरी लौटकर भगवान् विष्णु के दर्शन करे। यहीं कपिलजी, वरुण, वरुणेश्वर, नीलकण्ठेश्वर तथा कर्दमेश्वर होकर मार्कण्डेय आश्रम जाकर मार्कण्डेयशिला और मार्कण्डेयेश्वर के दर्शन करे।
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परिक्रमा के अन्तर्गत बहुत से मन्दिरों के विद्यमान होने के कारण भी यह पर्वत ओंकार के स्वरूप में दिखाई पड़ता है। ओंकारेश्वर के मन्दिर ॐकार में बने चन्द्र का स्थानीय ॐ इसमें बने हुए चन्द्रबिन्दु का जो स्थान है, वही स्थान ओंकारपर्वत पर बने ओंकारेश्वर मन्दिर का है। मालूम पड़ता है इस मन्दिर में शिव जी के पास ही माँ पार्वती की भी मूर्ति स्थापित है। यहाँ पर भगवान परमेश्वर महादेव को चने की दाल चढ़ाने की परम्परा है।
==चित्र दीर्घा==
 
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चित्र:Omkartemple_ओंकारेश्वर_मन्दिर.jpg|मध्यप्रदेश में ओंकार मांधाता मन्दिर का बाहरी दृश्य
चित्र:Panchmukhiganesh_पंचमुखी_गणेश.jpg|ओंकारेश्वर मन्दिर में प्रथम तल पर स्थित ओंकारेश्वर लिंग के प्रवेशद्वार पर स्थित पंचमुखी गणेश का दृश्य
चित्र:Omkareshnandi_ओंकारेश्वर_नन्दी.jpg|ओंकारेश्वर मन्दिर में ओंकारेश्वर लिंग के प्रांगण में स्थित नन्दी का दृश्य
चित्र:Mahakalesh1_महाकालेश्वर.jpg|ओंकारेश्वर मन्दिर के द्वितीय तल पर स्थित महाकालेश्वर लिंग का दृश्य
चित्र:Mahakaleshnandia_महाकालेश्वर_नन्दी.jpg|ओंकारेश्वर मन्दिर के द्वितीय तल पर स्थित महाकालेश्वर लिंग के बाहर स्थित नन्दी का दृश्य
चित्र:Siddhnath_सिद्धनाथ.jpg|ओंकारेश्वर मन्दिर के तृतीय तल पर स्थित सिद्धनाथ लिंग का दृश्य
चित्र:Gupteshwar1_गुप्तेश्वर.jpg|ओंकारेश्वर मन्दिर के चतुर्थ तल पर स्थित गुप्तेश्वर लिंग का दृश्य
चित्र:Gupteshwar2_गुप्तेश्वर.jpg|ओंकारेश्वर मन्दिर के चतुर्थ तल पर स्थित गुप्तेश्वर लिंग की छत का दृश्य
चित्र:Dhwajeshwar1_ध्वजेश्वर.jpg|ओंकारेश्वर मन्दिर के पाचवें तल पर स्थित शिवलिंग का दृश्य।
चित्र:Dhwajeshwar2_ध्वजेश्वर.jpg|ओंकारेश्वर मन्दिर के पांचवें तल पर स्थित ध्वजेश्वर लिंग की छत का दृश्य
चित्र:Kedareshwarnandi_केदारेश्वर_नन्दी.jpg|ओंकारेश्वर मन्दिर के परिक्रमा क्षेत्र में स्थित केदारेश्वर मन्दिर के प्रांगण में स्थित नन्दी का दृश्य
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==बाहरी कड़ियाँ==
*[https://sa.wikisource.org/s/fwm ओंकार क्षेत्र में कुंजल का अपने चार पुत्रों से वार्तालाप (पद्मपुराण २.८५)], संस्कृत विकिस्रोत पर।