"जोशिया जॉन गुडविन": अवतरणों में अंतर

छोNo edit summary
No edit summary
पंक्ति 3:
गुडविन 99 प्रतिशत शुद्धता के साथ 200 शब्द प्रति मिनट लिखते थे, और इस विशेषता को देखते हुए स्वामी विवेकानन्द के 1895 में न्यूयार्क प्रवास के दौरान उन्हें उचित पारिश्रमिक पर निजी आशुलिपिक नियुक्त किया था। लेकिन स्वामी जी के भाषण सुनते-सुनते गुडविन उनके शिष्य बन गए। और वे अपनी सेवाएँ निःशुल्क देने लगे।
 
जनवरी 1897 में वे स्वामी जी के साथ [[कोलकाता]] आ गये। तब से वे स्वामी विवेकानंद के साथ रहे। उन्होंने ‘ब्रह्मवादिन’ नामक पत्रिका के प्रकाशन में भी सहयोग दिया।
 
[[मद्रास]] (अब चेनई) की गरम जलवायु से जब उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा, वे [[ऊटी]] आ गये। वहीं 2 जून, 1898 को 28 वर्ष की आयु में उनका देहांत हो गया।