"सुभाष चन्द्र बोस": अवतरणों में अंतर

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6 जुलाई 1944 को उन्होंने [[रंगून]] रेडियो स्टेशन से [[महात्मा गांधी]] के नाम एक प्रसारण जारी किया जिसमें उन्होंने इस निर्णायक युद्ध में विजय के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनायें माँगीं।<ref>{{cite book |last1=क्रान्त|first1=मदनलाल वर्मा |authorlink1= |last2= |first2= |editor1-first= |editor1-last= |editor1-link= |others= |title=स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास |url=http://www.worldcat.org/title/svadhinata-sangrama-ke-krantikari-sahitya-ka-itihasa/oclc/271682218 |format= |accessdate= |edition=1 |series= |volume=2 |date= |year=2006 |month= |origyear= |publisher=प्रवीण प्रकाशन |location=नई दिल्ली |language=Hindi |isbn= 81-7783-120-8|oclc= |doi= |id= |page=512 |pages= |chapter= |chapterurl= |quote=मैं जानता हूँ कि ब्रिटिश सरकार भारत की स्वाधीनता की माँग कभी स्वीकार नहीं करेगी। मैं इस बात का कायल हो चुका हूँ कि यदि हमें आज़ादी चाहिये तो हमें खून के दरिया से गुजरने को तैयार रहना चाहिये। अगर मुझे उम्मीद होती कि आज़ादी पाने का एक और सुनहरा मौका अपनी जिन्दगी में हमें मिलेगा तो मैं शायद घर छोड़ता ही नहीं। मैंने जो कुछ किया है अपने देश के लिये किया है। विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने और भारत की स्वाधीनता के लक्ष्य के निकट पहुँचने के लिये किया है। भारत की स्वाधीनता की आखिरी लड़ाई शुरू हो चुकी है। आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिक भारत की भूमि पर सफलतापूर्वक लड़ रहे हैं। हे राष्ट्रपिता! भारत की स्वाधीनता के इस पावन युद्ध में हम आपका आशीर्वाद और शुभ कामनायें चाहते हैं।|ref= |bibcode= |laysummary= |laydate= |separator= |postscript= |lastauthoramp=}}</ref>
 
[[सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु|नेताजी की मृत्यु]] को लेकर आज भी विवाद है।<ref>[https://hindi.theindianwire.com/%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B7-%E0%A4%9A%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0-%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%B8-%E0%A4%AE%E0%A5%8C%E0%A4%A4-18073/ https://hindi.theindianwire.com/नेताजी-सुभाष-चंद्र-बोस-मौत-18073/] दा इंडियन वायर</ref> जहाँ [[जापान]] में प्रतिवर्ष 18 अगस्त को उनका जन्म दिनशहीद दिवस धूमधाम से मनाया जाता है वहीं भारत में रहने वाले उनके परिवार के लोगों का आज भी यह मानना है कि सुभाष की मौत 1945 में नहीं हुई। वे उसके बाद [[रूस]] में नज़रबन्द थे। यदि ऐसा नहीं है तो [[भारत सरकार]] ने उनकी मृत्यु से सम्बंधित दस्तावेज़ अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं किये?<ref>{{cite news|title=Netaji Subhas Chandra Bose's family observes 'Declassification Day'|url=http://economictimes.indiatimes.com/news/politics-and-nation/netaji-subhas-chandra-boses-family-observes-declassification-day/articleshow/21897544.cms|accessdate=18 अगस्त 2013|newspaper=The Economics Times |quote=So far, we have never observed the day as we don't believe that he died on August 18. There is circumstantial evidence to prove that he was in Russia after that date in 1945. But now we have started observing this day as declassification day to put pressure on the government to make public the hidden files on his life, the family spokesperson Chandra Kumar Bose told PTI.|date=18 अगस्त 2003}}</ref>
 
16 जनवरी 2014 (गुरुवार) को कलकत्ता हाई कोर्ट ने नेताजी के लापता होने के रहस्य से जुड़े खुफिया दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की माँग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के लिये स्पेशल बेंच के गठन का आदेश दिया।<ref name="नेताजी सुभाष">{{cite news|title= नेताजी सुभाष : हाई कोर्ट की स्पेशल बेंच करेगी सुनवाई|url=http://hindi.economictimes.indiatimes.com/india/national-india/-----/articleshow/28909048.cms |accessdate=18 जनवरी 2014|newspaper=[[नवभारत टाइम्स]] |quote= याचिका में नेताजी से जुड़े सभी दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की मांग की गई है, ताकि उनके लापता होने को लेकर पैदा रहस्य से पर्दा उठ सके। पीएम ऑफिस ने इससे पहले नेताजी के लापता होने से जुड़े दस्तावेजों और रिकॉर्ड सार्वजनिक करने से इनकार किया था और कहा था कि ऐसा करने से भारत के अन्य देशों के साथ संबंध प्रभावित होंगे।|date=17 जनवरी 2014}}</ref>