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[[चित्र:Raja_Ram_Mohan_Roy.jpg|thumb|right|राजा राममोहन राय]]
[[चित्र:Raja_Ram_Mohan_Roy.jpg|thumb|right|राजा राममोहन राय]]'''राजा राममोहन राय''' (बांग्ला: {{lang-bn|রাজা রামমোহন রায়}}) (२२ मई १७७2 - २७ सितंबर १८३३) को [[भारतीय पुनर्जागरण]] का अग्रदूत और आधुनिक [[भारत]] का जनक कहा जाता है।<ref>{{cite web|url=http://www.bbc.com/hindi/magazine-41412027|title=आख़िर ब्रिटेन के ब्रिस्टल में क्यों है राजा राममोहन राय की कब्र?}}</ref> भारतीय सामाजिक और धार्मिक पुनर्जागरण के क्षेत्र में उनका विशिष्ट स्थान है। वे [[ब्रह्म समाज]] के संस्थापक, भारतीय भाषायी प्रेस के प्रवर्तक, जनजागरण और सामाजिक सुधार आंदोलन के प्रणेता तथा [[बंगाली पुनर्जागरण|बंगाल में नव-जागरण युग]] के पितामह थे। उन्होंने [[भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम]] और [[पत्रकारिता]] के कुशल संयोग से दोनों क्षेत्रों को गति प्रदान की। उनके आन्दोलनों ने जहाँ पत्रकारिता को चमक दी, वहीं उनकी पत्रकारिता ने आन्दोलनों को सही दिशा दिखाने का कार्य किया।
 
राजा राममोहन राय की दूर‍दर्शिता और वैचारिकता के सैकड़ों उदाहरण इतिहास में दर्ज हैं। [[हिन्दी]] के प्रति उनका अगाध स्नेह था। वे रू‍ढ़िवाद और कुरीतियों के विरोधी थे लेकिन संस्कार, परंपरा और राष्ट्र गौरव उनके दिल के करीब थे। वे स्वतंत्रता चाहते थे लेकिन चाहते थे कि इस देश के नागरिक उसकी कीमत पहचानें।
 
== जीवनी ==
राजा राममोहन राय का जन्म [[बंगाल]] में 1772 में एक [[ब्राह्मण]] परिवार में हुआ था।<ref>{{cite news |title=याद आए कवि नजरूल व राजा राम मोहन राय |url=https://www.jagran.com/west-bengal/khadagpur-poet-najrul-and-raja-ram-mohan-roy-remembered-17986029.html |accessdate=7 जून 2018 |publisher=दैनिक जागरण |date=22 मई 2018}}</ref> इनके पिता एक [[वैष्णव]] थे जबकि माता शाक्त। १५ वर्ष की आयु तक उन्हें [[बंगाली]], [[संस्कृत]], [[अरबी]] तथा [[फ़ारसी]] का ज्ञान हो गया था। किशोरावस्था में उन्होने काफी भ्रमण किया। उन्होने 1803-1814 तक [[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] के लिए भी काम किया। उन्होने [[ब्रह्म समाज]] की स्थापना की तथा विदेश ([[इंग्लैण्ड]] तथा [[फ़्रांस]]) भ्रमण भी किया।'''''<ref>{{cite news |title=आधुनिक भारत के निर्माता कहे जाने वाले राजा राम मोहनराय का मनाया 246वां जन्मदिन |url=https://up.punjabkesari.in/uttar-pradesh/news/celebrated-246th-birthday-of-king-mohanrai-the-creator-of-modern-india-806190 |accessdate=7 जून 2018 |issue=22 मई 2018 |publisher=पंजाब केसरी}}</ref>
 
== कुरीतियों के विरुद्ध संघर्ष ==
राममोहन राय ने [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] की नौकरी छोड़कर अपने आपको राष्ट्र सेवा में झोंक दिया। भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के अलावा वे दोहरी लड़ाई लड़ रहे थे। दूसरी लड़ाई उनकी अपने ही देश के नागरिकों से थी। जो अंधविश्वास और कुरीतियों में जकड़े थे। राजा राममोहन राय ने उन्हें झकझोरने का काम किया। बाल-विवाह, सती प्रथा, जातिवाद, कर्मकांड, पर्दा प्रथा आदि का उन्होंने भरपूर विरोध किया। धर्म प्रचार के क्षेत्र में अलेक्जेंडर डफ्फ ने उनकी काफी सहायता की। [[द्वारका नाथ टैगोर]] उनके सबसे प्रमुख अनुयायी थे।
आधुनिक भारत के निर्माता, सबसे बड़ी सामाजिक - धार्मिक सुधार आंदोलनों के संस्थापक, ब्रह्म समाज, राजा राम मोहन राय सती प्रणाली जैसी सामाजिक बुराइयों के उन्मूलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह भी अंग्रेजी, आधुनिक चिकित्सा प्रौद्योगिकी और विज्ञान के अध्ययन को लोकप्रिय भारतीय समाज में विभिन्न बदलाव की वकालत की। यह कारण है कि वह "मुगल सम्राट 'राजा के रूप में भेजा गया था।<ref>{{cite news |last1=पारीक |first1=मोहित |title=राजा राममोहन राय: मुगलों ने बनाया 'राजा', सती प्रथा के खिलाफ उठाई आवाज |url=https://aajtak.intoday.in/education/story/know-about-rajaram-mohan-roy-on-his-birth-anniveresry-tedu-1-1004527.html |accessdate=7 जून 2018 |publisher=आज तक |date=22 मई 2018}}</ref>
 
== पत्रकारिता ==