"वैज्ञानिक विधि": अवतरणों में अंतर

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(5) '''[[परिकल्पना]]''' (hypothesis) - प्रयोग करने का एक मात्र उद्देश्य प्रकृति के किसी रहस्य का उद्घाटन होता है। कोई घटना क्यों और कैसे घटित होती है, इसको समझना पड़ता है। वर्षा क्यों होती है? इंद्रधनुष कैसे बनता है? इस प्रकार के प्रश्नों के उत्तर देने के लिए एक परिकल्पना की आवश्यकता पड़ती है। यदि परिकल्पना ठीक है, तो वह जाँच में ठीक बैठेगी। परिकल्पना की जाँच के लिए विभिन्न पप्रयेग किए जा सकते हैं। आगे चलकर ऐसे तथ्य भी प्रकाश में आते हैं जो उस परिकल्पना की पुष्टि कर सकते हैं। यदि ऐसी बातें हैं, तो उसी परिकल्पना को सिद्धांत या नियम की सज्ञा दी जाती है, अन्यथा उसका संशोधन करना पड़ता है, या उसे छोड़ देना पड़ता है। न्यूटन के गति के नियम और आइन्स्टान का सापेक्षवाद का सिद्धात इसके उदाहरण हैं।
[[चित्र:Induction.jpg|right|thumb|300px|[[आगमन]] (इण्डक्शन) तथा 'विशेष' से 'सामान्य' का प्रकट होना]]
 
(6) '''[[आगमन]]''' (induction) - जब किसी वर्ग के कुछ सदस्यों के गुण ज्ञात हों, तो उनके आधार पर उस वर्गविशेष के गुणों के बारे में अनुमान लगाना उपपादन कहलाता है। उदाहरण के लिए, अ, ब, स आदि। मनुष्य मरणशील प्राणी हैं; इसके आधार पर कहा जाता है कि सब मनुष्य मरणशील प्राणी है। इस प्रकार के [[सामान्यीकरण]] (generalisation) के लिए यह आवश्यक है कि जो नमूने इकट्ठे किए जाएँ, वे अनियत तरीके से किए जाएँ, नहीं तो जो परिणाम निकाला जाएगा वह ठीक नहीं होगा। कभी कभी कुछ राशियों का मध्यमान निकाला जाता है, किंतु यह तभी करना ठीक होगा जब ऐसा करना तर्कसंगत हो। उदाहरणार्थ, "लेखा जोखा थाहे, लड़का डूबा काहे" से पता चलता है कि नदी की औसत गहराई किसी लड़के की ऊँचाई से कम होते हुए भी लड़का डूब सकता है।