"बीमा": अवतरणों में अंतर

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== बीमा किस स्थिति में हो सकता है? ==
जुआ खेलने या बाजी लगाने में भी दो व्यक्ति यही समझौता करते हैं कि अमुक घटना घटित होने पर दूसरा व्यक्ति अमुक धनराशि अदा करेगा। लेकिन उसे बीमा नहीं कहा जा सकता क्योंकि स्वयं उस घटना के घटित होने या न होने में उस बाजी लगानेवाले का कोई स्वतंत्र हित नहीं होता। अस्तु, बीमा अनुबंध के लिए सामान्य अनुबंध के तत्वों के साथ-साथ बीमाहित (Insurable Interest) का अस्तित्व आवश्यक है। उदाहरणार्थ क के [http://infnd.com/what-is-life-insurance-in-hindi/ जीवन का बीमा] कोई अजनबी व्यक्ति ख नहीं करा सकता क्योंकि क के जीवित रहने या न रहने में ख का कोई स्वतंत्र हित नहीं है। लेकिन यदि ख क की पत्नी हो तो क के जीवित रहने में ख का हित निहित होने से ख द्वारा क के जीवन का बीमा करना नियमानुकूल होगा।
 
बीमा हित का अर्थ व्यापक है। पति पत्नी के जीवित रहने में एक दूसरे का हित तो स्पष्ट ही है। कर्जदार के जीवन में महाजन का हित भी वैसा ही मान्य है। इसी प्रकार संपत्ति बीमा के लिए बीमाहित उस संपत्ति के स्वामी को तो है ही। यह हित उस व्यक्ति को भी उपलब्ध हो जाता है, जिसे किसी अनुबंध के अंतर्गत कोई संपत्ति उपलब्ध होती है। यही नहीं, संपत्ति पर कब्जा मात्र होने से, भले ही वह कब्जा गैरकानूनी हो, बीमाहित उपलब्ध हो जाता है। उदाहरणार्थ अगर किसी दिवालिए के पास उसके कब्जे में कोई संपत्ति है, भले ही वह अधिकर स्वत: गैरकानूनी हो क्योंकि दिवाला निकलने के बाद उसकी सारी संपत्ति पर अधिकारी अभिहस्तांकिनी का अधिकार हो जाता है - किंतु उस संपत्ति का बीमा कराने के लिए उस दिवालिए को भी अधिकारी मान लिया जाता है। किसी अनुबंध द्वारा बीमा हित उत्पन्न होने का आधार उत्तरदायित्व अथवा हित दोनों हो सकते हैं। उदाहरणार्थ जब कोई व्यक्ति कोई मकान किराए पर लेता है तो उस मकान की हिफाजत का कोई उत्तरदायित्व उस पर नहीं होता लेकिन चूँकि उस अनुबंध से किराएदार को सुरक्षा की सुविधा उप्रलब्धि होती है अत: उस मकान की सुरक्षा के बीमे के लिए भी उस किराएदार को बीमा हित उपलब्ध हो जाता है।
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*20.''' हानि बीमित के नियन्त्रण के बाहर हो''' - अज्ञात व अनिश्चित हानियों का ही बीमा करवाया जा सकता है। हानि होगी अथवा नहीं होगी, हानि की गहनता व तीव्रता क्या होगी ये सभी नियन्त्रण से बाहर होनी चाहिये
 
== बीमा अनुबन्धों के प्रकार<ref>{{Cite web|url=http://infnd.com/types-of-life-insurance-in-hindi/|title=जीवन बीमा कितने प्रकार के होते है?|last=|first=|date=|website=इंफंड|language=|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref> ==
बीमा के अनुबंध दो प्रकार की श्रेणियों में विभाजित किए जा सकते हैं। वे अनुबंध जिनमें क्षतिपूर्ति का उत्तरदायित्व होता है और वे जिनमें क्षतिपूर्ति का प्रश्न नहीं होता वरन् एक निश्चित धनराशि अदा करने का अनुबंध होता है। क्षतिपूर्ति विषयक बीमा सामुद्रीय (मैरीन इंश्योरेंस) भी हो सकता है और गैरसामुद्रीय भी। पहले का उदाहरण समुद्र द्वारा विदेशों को भेजे जानेवाले समान की सुरक्षा का बीमा है और दूसरे का उदाहरण अग्निभय अथवा मोटर का बीमा है। क्षतिपूर्ति के अनुबंध में केवल क्षति की पूर्ति की जाती है। यदि एक ही वस्तु का बीमा एक से अधिक स्थानों (बीमा संस्थानों) में है तो भी बीमा करानेवाले को क्षतिपूर्ति की ही धनराशि उपलब्ध होती है। हाँ, वे बीमा कंपनियाँ आपस में अदायगी की धनराशि का भाग निश्चित कर लेती हैं। अतः क्षतिपूर्ति अनुबंध का यह सिद्धांत जीवन बीमा तथा दुर्घटना बीमा पर लागू नहीं होता। अत: जीवन बीमा तथा दुर्घटना बीमा कितनी भी धनराशि के लिए किया गया है, बीमा करानेवाले को (यदि वह जीवित है) अथवा उसके मनोनीत व्यक्ति को वह पूरी रकम उपलब्ध होती है।
 
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मूल्यांकित बीमा अनुबंध में यदि संपत्ति पूर्ण नष्ट हो जाए तो बीमा पत्र पर लिखित धनराशि बीमा करनेवाले को अनिवार्य रूप से देनी पड़ती है। अमूल्यांकित बीमा अनुबंध में यदि पूर्ण संपत्ति नष्ट हो जाए तो उक्त संपत्ति का मूल्यांकन उस समय किया जाता है। संपूर्ण तथा अनिश्चित अग्नि बीमा अनुबंध में वस्तुओं की सूची नहीं दी जाती वरन् अग्नि से हानिभय का बीमा सामान्य रूप में किया जाता है। निर्वारित अग्नि बीमा अनंबंध में धनराशि निर्धारित बीमा पत्र पर लिखी रहती है। औसत अग्नि बीमा अनुबंध में आनुपातिक क्षतिपूर्ति की जाती है : अग्नि बीमा अनुबंध में पुनस्थापन (Restoration or Restitution), औसत (average) तथा भागदारी (Partial liability) सिद्धांत लागू होते हैं।
 
=== जीवन बीमा ===
=== जीवन बीमा<ref>{{Cite web|url=http://infnd.com/what-is-life-insurance-in-hindi/|title=जीवन बीमा क्या है? इसके प्रकार|last=|first=|date=|website=इंफंड|language=|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref> ===
जीवन बीमा का प्रारंभ भी समुद्री बीमा के प्राय: साथ ही हुआ क्योंकि व्यापारिक यात्रा पर जानेवाले पोतों के मालिकों को जहाँ पोत नष्ट होने की संभावनाओं के विरुद्ध प्रबंध करने की चिंता थी, वहीं उन जहाजों के कप्तानों का जीवन भी उतना ही मूल्यवान था। साथ ही जब कारीगरों के संघों की स्थापना होने लगी और जन्म मृत्यु के लेखे रहने के साथ साथ आयु सीमा के औसत निकालने के नियमों की स्थापना की जा सकी तो जीवन बीमा अनुबंध का भी काफी प्रसार हो सका। लेकिन उस समय के बीमा पत्रों की शर्तें काफी कठिन होती थीं। अमरीकी गृहयुद्ध के पूर्व के जीवन बीमा अनुबंध की शर्तों के अनुसार बीमा पत्र का काई अर्पण मूल्य (Surrender value) नहीं होता था। बीमे पर कोई कर्ज नहीं मिल सकता था। बीमा प्रव्याजि (प्रीमियम) अदा करने के लिए अतिरिक्त समय (Grace period) नहीं मिलता था तथा आत्महत्या, द्वंद्वयुद्ध अथवा समुद्रयात्रा करने पर बीमा अवैध करार दे दिया जाता था।
 
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8. '''कुछ बीमा पत्र केवल सरकारी सहयोग पर निर्भर'''- निजी बीमाकर्ता कुछ विशिष्ट प्रकार की जोखिमों का बीमा नहीं कर सकते हैं , उनमें सरकारी सहयोग की आवश्यकता होती है। जैसे -बेरोजगारी बीमा आदि।
 
== सन्दर्भ सूचि ==
<references />
 
== इन्हें भी देखें ==
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== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://infnd.com/what-is-life-insurance-in-hindi/ जीवन बीमा क्या है ?]
* [http://www.licindia.in/Hindi/bottomLinks/history.htm बीमा का संक्षिप्‍त इतिहास]
* [http://insurance.agoodplace4all.com/ बीमा का इतिहास]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/बीमा" से प्राप्त