"राम प्रसाद 'बिस्मिल'": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 25:
राम प्रसाद एक [[कवि]], [[शायर]], [[अनुवादक]], बहुभाषाभाषी, [[इतिहासकार]] व [[साहित्यकार]] भी थे। ''बिस्मिल'' उनका उर्दू तखल्लुस ([[उपनाम]]) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे ''राम'' और ''अज्ञात'' के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे।
<!-- <ref name="क्रान्त">{{cite book |last1=Verma |first1='Krant' Madan Lal |authorlink1= |last2= |first2= |editor1-first= |editor1-last= |editor1-link= |others= |title=क्रांतिकारी बिस्मिल और उनकी शायरी|url=http://www.worldcat.org/title/krantikari-bismila-aura-unaki-sayari/oclc/466558602 |format= |accessdate=४ मार्च २०१४ |edition=1 |series= |volume= |date= |year=1998 |month= |origyear= |publisher=प्रखर प्रकाषन|location=[[दिल्ली]] |isbn= |oclc= 466558602|doi= |id= |page=18 |pages= |chapter= |chapterurl= |quote=स्वयं किताबें लिखीं, छ्पायीं, बेचीं, फिर जो धन आया, उससे शस्त्र खरीदे फिर बाग़ी मित्रों में बँटवाया। सैन्य-शस्त्र-संचालन का था बहुत बड़ा अनुभव पाया, इसीलिये बिस्मिल के जिम्मे सेनापति का पद आया। फिर क्या था शुरुआत उन्होंने की सीधे संधान की! आओ तुमको कथा सुनाएँ बिस्मिल के बलिदान की!!|ref= |bibcode= |laysummary= |laydate= |separator= |postscript= |lastauthoramp=}}</ref> -->
|