"चमोली जिला": अवतरणों में अंतर

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प्रशासन
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चमोली का क्षेत्रफल 3,525 वर्ग मील है।
 
== प्रशासन ==
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जिले के प्रशासनिक मुख्यालय [[गोपेश्वर]] नगर में स्थित हैं। प्रशासनिक कार्यों से जिले को १२ तहसीलों में बांटा गया है। ये हैं: [[चमोली तहसील|चमोली]], [[जोशीमठ तहसील|जोशीमठ]], [[पोखरी तहसील|पोखरी]], [[कर्णप्रयाग तहसील|कर्णप्रयाग]], [[गैरसैण तहसील|गैरसैण]], [[थराली तहसील|थराली]], [[देवाल तहसील|देवाल]], [[नारायणबगड़ तहसील|नारायणबगड़]], [[आदिबद्री तहसील|आदिबद्री]], [[जिलासू तहसील|जिलासू]], [[नंदप्रयाग तहसील|नंदप्रयाग]] तथा [[घाट तहसील|घाट]]। इसके अतिरिक्त, जिले को ९ विकासखंडों में भी बांटा गया है: दशोली, जोशीमठ, घाट, पोखरी, कर्णप्रयाग, गैरसैण, नारायणबगड़, थराली तथा देवाल। पूरा जिला [[गढ़वाल लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र|गढ़वाल संसदीय क्षेत्र]] के अंतर्गत आता है, और इसमें ३ [[उत्तराखण्ड के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सूची|उत्तराखण्ड विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र]] हैं; [[बद्रीनाथ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड|बद्रीनाथ]], [[थराली विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड|थराली]] और [[कर्णप्रयाग विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड|कर्णप्रयाग]]।
 
== प्रमुख स्थल ==
=== बद्रीनाथ ===
{{main|बद्रीनाथ}}
बद्रीनाथ देश के प्रमुख धार्मिक स्थानों में से एक है। यह चार धामों में से एक धाम है। श्री बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इसकी स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी। इसके बाद इसका निर्माण दो शताब्दी पूर्व गढ़वाल राजाओं ने करवाया था। बद्रीनाथ तीन भागों में विभाजित है- गर्भ गृह, दर्शन मंडप और सभा मंडप। jagmohan
 
=== तपकुण्ड ===
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प्राकृतिक प्रेमियों के लिए यह जगह स्वर्ग के समान है। इस स्थान की खोज फ्रेंक स्मिथ और आर.एल. होल्डवर्थ ने 1930 में की थी। इस घाटी में सबसे अधिक संख्या में जंगली फूलों की किस्में देखी जा सकती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार हनुमान जी लक्ष्मण जी के प्राणों की रक्षा के लिए यहां से संजीवनी बूटी लेने के लिए आए थे। इस घाटी में पौधों की 521 किस्में हैं। 1982 में इस जगह को राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित कर दिया गया था। इसके अलावा यहां आपको कई जानवर जैसे, काला भालू, हिरण, भूरा भालू, तेंदुए, चीता आदि देखने को मिल जाएंगें।
 
=== औली ===
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औली बहुत ही खूबसूरत जगह है। अगर आप बर्फ से ढ़के पर्वतों और स्की का मजा लेना चाहते हैं तो औली बिल्कुल सही जगह है। जोशीमठ के रास्ते से आप औली तक पहुंच सकते हैं। जो कि लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सर्दियों में कई प्रतियोगियों का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन गढ़वाल मंडल विकास सदन द्वारा करवाया जाता है। इसके अलावा आप यहां से नंदा देवी, कामत औद और दुनागिरी पर्वतों का नजारा भी देख सकते हैं। जनवरी से माच के समय में औली पूरी तरह बर्फ की चादर से ढ़का हुआ रहता है। यहां पर बर्फ करीबन तीन फीट तक गहरी होती है। औली में होने वाले स्की कार्यक्रम यहां पर्यटकों को अपनी ओर अधिक आकर्षित करते हैं।