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इसके अलावा वैद्यनाथ प्रसाद गुप्त "चर्चरीक", मदन साहित्य भूषण, राम चन्द्र आशोपुरी, मुन्नी लाल आर्य शास्त्री, परम हंश जानकी बल्लभ दास, योगेंद्र रीगावाल, संत रस्तोगी, नरेंद्र कुमार, सीता राम दीन, आचार्य सारंग शास्त्री, डॉ मदन मोहन वर्मा पूर्णेंदू, डॉ वीरेंद्र वसु, डॉ कृष्ण जीवन त्रिवेदी, डॉ महेंद्र मधुकर, डॉ पदमाशा झा और डॉ शंभूनाथ सिंह नवगीत सम्मान पाने वाले बिहार के पहले नवगीतकार '''राम चन्द्र चंद्रभूषण''' आदि सीतामढ़ी के दीप्तिमान रत्न सिद्ध हुये हैं। शमशेर जन्म शती काव्य सम्मान से अलंकृत अंतर्जाल की वहुचर्चित कवयित्री रश्मि प्रभा का जन्म भी सीतामढ़ी में ही हुआ है।<ref>[http://www.kavitakosh.org/kk/%E0%A4%B0%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BF_%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AD%E0%A4%BE#.UMs2E-RJNrE कविता कोश में रश्मि प्रभा का परिचय]</ref>
 
अपने सीतामढ़ी प्रवास में कुछ साहित्यकारों ने यहाँ की साहित्यिक गतिविधियों में प्राण फूंकने का कार्य किया था, जिनमें सर्व श्री पांडे आशुतोष, तिलक धारी साह, ईश्वर चन्द्र सिन्हा, श्री राम दुबे, अदालत सिंह अकेला, डॉ हरेकृष्ण[[हरिकृष्ण प्रसाद गुप्तगुप्ता अग्रहरीअग्रहरि]], [[हृदयेश्वर]] आदि। यहाँ की दो वहुचर्चित साहित्यिक प्रतिभाओं क्रमश: [[आशा प्रभात]] और [[रवीन्द्र प्रभात]] ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस शहर का नाम रोशन किया है।<ref>आज, राष्ट्रीय हिंदी दैनिक, पटना संस्करण,14.11.1994, पृष्ठ संख्या :9, आलेख शीर्षक : साहित्य में सीतामढ़ी, लेखक: रवीन्द्र प्रभात</ref>
 
शहर के कोट बाजार निवासी '''[[आशा प्रभात]]''' ने [[हिंदी]] व [[उर्दू]] रचनाओं का एक अनोखा बागवान सजाया है। इनकी पहली कृति 'दरीचे' नामक काव्य संग्रह के रूप में वर्ष 1990 में प्रकाशित हुयी। उसके बाद 'धुंध में उगा पेड़' नामक उपन्यास प्रकाशित हुआ। यह उपन्यास हिंदी व उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हो कर कामयाबी की राह आसान कर दी। 'मै और वह' नामक आशा प्रभात का उपन्यास अब तेलगू भाषा में अनुवादित होने जा रहा है।<ref>http://www.jagran.com/bihar/sitamarhi-8432354.html</ref>