"काश्यप संहिता": अवतरणों में अंतर
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[[महाभारत]] में [[तक्षक]]-दंश-उपाख्यान में भी कश्यप का उल्लेख आता है। इन्होंने तक्षक से काटे अश्वत्थ को पुनर्जीवित करके अपनी विद्या का परिचय दिया था (आदि पर्व. 50.34)। [[डल्हण]] ने काश्यप मुनि के नाम से उनका एक वचन उद्धृत किया है, जिसके अनुसार शिरा आदि में अग्निकर्म निषिद्ध है। [[माधवनिदान]] की मधुकोष टीका में भी वृद्ध काश्यप के नाम से एक वचन विष प्रकरण में दिया है। ये दोनों कश्यप पूर्व कश्यप से भिन्न हैं। संभवत: इनको गोत्र के कारण कश्यप कहा गया है। [[अष्टांगहृदय]] में भी कश्यप और कश्यप नाम से दो योग दिए गए हैं। ये दोनों योग उपलब्ध कश्यपसंहिता से मिलते हैं (कश्यप संहिता-उपोद्घात, पृष्ठ 37-38)।
==विशेषताएँ==
1. भाव प्रकाश संहिता में संस्कृत के मूल श्लोक सहित हिन्दी अनुवाद मिलता है।
2. भैषज्य द्रव्यों के विभिन्न भारतीय भाषाओं में प्रचलित सही नाम, अंग्रेजी, लैटिन आदि भाषाओं में तथा वनस्पति की उत्पति स्थान का उनका विशिष्ट परिचय एवं रासायनिक संगठन आदि का यथा स्थान वर्णन किया गया है।
3. प्रस्तुत ग्रंथ में आयुर्वेद के संपूर्ण विषय वर्णित है।
4. चरक एवं सुश्रुत संहिताओं में अवर्णित रोगों का भी वर्णन एवं चिकित्सा का वर्णन है।
5. सृष्टि प्रकरण, गर्भ प्रकरण, बाल प्रकरण एवं ऋतुचर्या का वर्णन है।
6. निघण्टु भाग में हरीतकी आदि वर्ग, अन्न पान, घृत, आदि का विस्तृत वर्णन है।
== इन्हें भी देखें ==
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