"झूठा सच": अवतरणों में अंतर

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== समीक्षकों की दृष्टि में ==
डॉ० रामविलास शर्मा यशपाल के घोर विरोधी के रूप में माने जाते हैं, परंतु उन्होंने संभवतः सबसे पहले यह घोषित कर दिया था कि 'झूठा सच' यशपाल जी के उपन्यासों में सर्वश्रेष्ठ है। उसकी गिनती हिन्दी के नये-पुराने श्रेष्ठ उपन्यासों में होगी-- यह भी निश्चित है।<ref>कथा विवेचना और गद्य शिल्प, रामविलास शर्मा, वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली, संस्करण-1999, पृष्ठ-75.</ref>
 
नेमिचंद्र जैन ने इस उपन्यास पर अनेक आरोप लगाते हुए यह निष्कर्ष दिया था कि हिन्दी उपन्यास साहित्य की सबसे महत्त्वपूर्ण कृतियों में होने पर भी 'झूठा सच' अंततः किसी आत्यन्तिक सार्थक उपलब्धि के स्तर को छूने में असफल ही रह जाता है।<ref>अधूरे साक्षात्कार, नेमिचन्द्र जैन, वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली, संस्करण-2002, पृष्ठ-81.</ref>