"बलुआ पत्थर": अवतरणों में अंतर

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छिद्रल होने से इसकी परतों में भूमिगत जल एकत्र हो जाता है, अत: ये महत्वपूर्ण जलस्त्रोत होती हैं।
प्राचिन प्राचीन भारत के महान शासक अशोक मोर्य ने अपने अधिकांश शिलालेखो हेतु बलुआ पत्थर का ही उपयोग किया था।
 
== इन्हें भी देखें==