"मुम्बई": अवतरणों में अंतर

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सन [[१८१७]] के बाद, नगर को वृहत पैमाने पर सिविल कार्यों द्वारा पुनर्ओद्धार किया गया। इसमें सभी द्वीपों को एक जुड़े हुए द्वीप में जोडने की परियोजना मुख्य थी। इस परियोजना को हॉर्नबाय वेल्लार्ड कहा गया, जो [[१८४५]] में पूर्ण हुआ, तथा पूरा ४३८bsp;[[वर्ग किलोमीटर|कि॰मी॰²]] निकला। सन [[१८५३]] में, भारत की प्रथम यात्री रेलवे लाइन स्थापित हुई, जिसने मुंबई को [[ठाणे]] से जोड़ा। [[अमरीकी नागर युद्ध]] के दौरान, यह नगर विश्व का प्रमुख सूती व्यवसाय बाजार बना, जिससे इसकी अर्थ व्यवस्था मजबूत हुई, साथ ही नगर का स्तर कई गुणा उठा।
[[१८६९]] में [[स्वेज नहर]] के खुलने के बाद से, यह [[अरब सागर]] का सबसे बड़ा पत्तन बन गया।<ref>{{cite book |last=डोस्सल|first=मरियम|title=इम्पेरियल डिज़ाइन्स एण्ड इण्डियन रियलिटीज़ -द प्लानिंग ऑफ बॉम्बे सिटी 1845–1875 |location=दिल्ली|publisher=ऑक्स्फोर्ड युनिवर्सिटी प्रेस |year=1991}}</ref> अगले तीस वर्षों में, नगर एक प्रधान नागरिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ। यह विकास संरचना के विकास एवं विभिन्न संस्थानों के निर्माण से परिपूर्ण था। [[१९०६]] तक नगर की जनसंख्याuजनसंख्या दस लाख बिलियन के लगभग हो गयी थी। अब यह भारत की तत्कालीन राजधानी [[कलकत्ता]] के बाद भारत में, दूसरे स्थान सबसे बड़ा शहर था। [[बंबई प्रेसीडेंसी]] की राजधानी के रूप में, यह [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] का आधार बना रहा। मुंबई में इस संग्राम की प्रमुख घटना [[१९४२]] में [[महात्मा गाँधी]] द्वारा छेड़ा गया [[भारत छोड़ो आंदोलन]] था। [[१९४७]] में [[भारतीय स्वतंत्रता]] के उपरांत, यह [[बॉम्बे राज्य]] की राजधानी बना। [[१९५०]] में उत्तरी ओर स्थित सैल्सेट द्वीप के भागों को मिलाते हुए, यह नगर अपनी वर्तमान सीमाओं तक पहुंचा।
 
[[१९५५]] के बाद, जब [[बॉम्बे राज्य]] को पुनर्व्यवस्थित किया गया और भाषा के आधार पर इसे [[महाराष्ट्र]] और [[गुजरात]] राज्यों में बांटा गया, एक मांग उठी, कि नगर को एक स्वायत्त नगर-राज्य का दर्जा दिया जाये। हालांकि [[संयुक्त महाराष्ट्र समिति]] के आंदोलन में इसका भरपूर विरोध हुआ, व मुंबई को [[महाराष्ट्र]] की राजधानी बनाने पर जोर दिया गया। इन विरोधों के चलते, १०५ लोग पुलिस गोलीबारी में मारे भी गये और अन्ततः [[१ मई]], [[१९६०]] को [[महाराष्ट्र]] राज्य स्थापित हुआ, जिसकी राजधानी [[मुंबई]] को बनाया गया।