"शंकर शेष": अवतरणों में अंतर

→‎नाट्य साहित्य: सन्दर्भ जोड़ा।
→‎नाट्य साहित्य: विवरण बढ़ाया।
पंक्ति 14:
 
'एक और द्रोणाचार्य' उनका सबसे लोकप्रिय नाटक था जिसकी 30 से अधिक प्रस्तुतियों के विवरण उपलब्ध हैं। यह नाटक अत्यधिक लोकप्रियता के बावजूद हमेशा विवादास्पद भी रहा। मार्क्सवादी आलोचक शंकर शेष के कथ्य से सहमत नहीं हैं और नया निर्देशक उनकी कृति को प्रायः संपादित किए बिना प्रस्तुत नहीं करना चाहता, क्योंकि उनकी दृष्टि में इस नाटक में भावुकता, रहस्य और फिल्मी लटकों का चमत्कार कुछ अधिक हो गया है।<ref name="ग" /> फिर भी महाभारत के पात्र गुरु द्रोणाचार्य और आधुनिक महाविद्यालय के प्राध्यापक के कुछ हद तक समानान्तर चित्रण से समकालीन ज्वलंत समस्या को कलात्मक रूप से सामने रखने वाला यह नाटक एक सशक्त कृति के रूप में स्वीकृत है।<ref>भारतीय रंग कोश, संदर्भ हिन्दी, खण्ड-2 (रंग व्यक्तित्व), संपादक- प्रतिभा अग्रवाल, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नयी दिल्ली की ओर से राजकमल प्रकाशन, प्रा० लि०, नयी दिल्ली, संस्करण-2006, पृष्ठ-258.</ref>
 
'बन्धन अपने-अपने' शंकर शेष का पहला नाटक था और उसका मंचन वाराणसी की 'शिल्पी' संस्था द्वारा 1980 में हुआ था। 'बिन बाती के दीप', 'कोमल गांधार', 'रक्तबीज', 'मायावी सरोवर' आदि का मंचन भी प्रसिद्ध नाट्य निर्देशकों द्वारा होते रहा है।
 
== प्रकाशित कृतियाँ ==