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'''संवाद सूक्त''' अर्थात वे [[सूक्त]], जिनमें दो या दो से अधिक [[देवता|देवताओं]], [[ऋषि|ऋषियों]] या किन्हीं और के मध्य वार्तालाप की शैली में विषय को प्रस्तुत किया गया हो। [[वेद|वेदों]] में विभिन्न सूक्तों के माध्यम से विभिन्न देवताओं की स्तुति तथा विभिन्न विषयों को प्रस्तुत किया गया है उनमें कुछ सूक्त संवाद
== प्रमुख सूक्त ==
पुरूरवा-उर्वशी-संवाद <ref>ऋ. 10/95</ref>
यम-यमी-संवाद <ref>ऋ. 10/10</ref>
सरमा-पणि-संवाद <ref>ऋ. 10/108</ref>
विश्वामित्र-नदी-संवाद <ref>ऋ. 3/33</ref>
वशिष्ठ-सुदास-संवाद <ref>ऋ. 7/83</ref>
अगस्त्य-लोपामुद्रा-संवाद <ref>ऋ. 1/179</ref>
इन्द्र-इन्द्राणी-वृषाकपि-संवाद <ref>कं. 10/86</ref>
== पुरुरवा उर्वशी संवाद सूक्त ==
यह ऋग्वेद के 10 वें मंडल का 95वां सूक्त है। इसमें 18 मंत्र हैं। इस सूक्त में प्रयुक्त [[छंद]] [[त्रिष्टुप छंद|त्रिष्टुप]] एवं स्वर धैवत है।
==सरमा-पणि संवाद ==
यह ऋग्वेद के 10वें मंडल का 108 वां सूक्त है। इसके ऋषि पणि हैं और देवता सरमा, पणि हैं। छन्द त्रिष्टुप एवं [[स्वर]] [[धैवत]] है।
==यम-यमी संवाद ==
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