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'''शंकर शेष''' (1933-1981) हिन्दी की साठोत्तरी पीढ़ी के सुप्रसिद्ध नाटककार थे। समकालीन जीवन की ज्वलंत समस्याओं से जूझते व्यक्ति की त्रासदी शंकर शेष के बहुसंख्यक नाटकों के केंद्र में रहती है। वे [[मोहन राकेश]] के बाद की पीढ़ी के महत्वपूर्ण नाटककार के रूप में मान्य हैं।
{{ज्ञानसन्दूक लेखक
| नाम = शंकर शेष
| चित्र =
| चित्र आकार =
| चित्र शीर्षक = डॉ० शंकर शेष
| उपनाम =
| जन्मतारीख़ = 2 अक्टूबर, 1933
| जन्मस्थान = [[बिलासपुर]],<br /> [[मध्य प्रदेश]]
| मृत्युतारीख़ = 28 अक्टूबर 1981
| मृत्युस्थान = [[श्रीनगर]] ([[कश्मीर]])
| कार्यक्षेत्र = [[हिन्दी साहित्य]]
| राष्ट्रीयता = [[भारतीय]]
| भाषा = [[हिन्दी]]
| काल = आधुनिक
| विधा = [[नाटक]], [[एकांकी]], [[उपन्यास]]
| विषय = समकालीन जीवन की समस्याएँ
| आन्दोलन =
| प्रमुख कृति = एक और द्रोणाचार्य
| प्रभाव = <!--यह लेखक किससे प्रभावित होता है-->
| प्रभावित = <!--यह लेखक किसको प्रभावित करता है-->
| हस्ताक्षर =
| जालपृष्ठ = www.shankarshesh.com
| टीका-टिप्पणी =
| मुख्य काम = लेखन
}}
 
== जीवन-परिचय ==