"मापयंत्रण": अवतरणों में अंतर

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भास्कराचार्य [[सिद्धान्त शिरोमणि]] ग्रंथ के यंत्राध्याय प्रकरण में कहते हैं, "काल के सूक्ष्म खण्डों का ज्ञान यंत्रों के बिना संभव नहीं है। इसलिए अब मैं यंत्रों के बारे में कहता हूं।" वे नाड़ीवलय यंत्र, यष्टि यंत्र, घटी यंत्र, चक्र यंत्र, शंकु यंत्र, चाप, तुर्य, फलक आदि का वर्णन करते हैं।
 
: ''अथ यन्त्राध्यायो व्याख्यायते । तत्राऽऽदौ तदारम्भप्रयोजनमाह-
: ''दिनगतकालावयवा ज्ञातुमशक्या यतो विना यन्त्रैः ।
: ''वक्ष्ये यन्त्राणि ततः स्फुटानि संक्षेपतः कतिचित् ॥१॥
: ''गोलो नाडीवलयं यष्टिः शङ्कुर्घटी चक्रम् ।
: ''चापं तुर्यं फलकं धोरेकं पारमार्थिकं यन्त्रम् ॥२॥
 
: ( यन्त्रों के बिना दिनगत काल के सूक्ष्माति सूक्ष्म अवयवों का ज्ञान नहीं होता है, अत एव संक्षेप से समय सूचक कतिपय यन्त्रों का वर्णन इस यन्त्राध्याय नाम के अध्याय में किया जा रहा है।॥१॥
: इस प्रकार यन्त्रों में (१) गोलयन्त्र (२) नाडोवलय (३) यष्टि (४) शङ, (५) घटी, (६) चक्र, (७) चाप, (८) तुर्य और (९) फलक यन्त्रों के वर्णन के साथ सर्वोपरि सर्वोत्तम एक यन्त्र है जिसका नाम “धी” अर्थात् बुद्धि यन्त्र हैं ।॥२॥)<ref>[https://books.google.co.in/books?id=YJIyJGBdcgUC&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false गोलाध्याय पृष्ट ४१५, (अनुवादक-केदारदत्त जोशी)]</ref>
 
[[सवाई जयसिंह]] द्वारा निर्मित [[जन्तर-मन्तर]] वास्तव में एक खुली हुई मापन-यंत्र-शाला है। जयसिंह द्वारा निर्मित जन्तर-मन्तर में विद्यमान यन्त्र ये हैं- सम्राट यन्त्र, जयप्रकाश यन्त्र, राशिवलय यन्त्र, राम यन्त्र, चक्र यन्त्र, दिगंश यन्त्र, कपालि यन्त्र, दक्षिणोभित्ति यन्त्र, क्रान्ति यन्त्र, उन्नतांश यन्त्र, नारीवलय यन्त्र, शस्थान्न्श यन्त्र, तथा यन्त्रराज।