'''पंकज चतुर्वेदी''' (जन्म [[१९७१ 22 अगस्त,1971]]) भारतभूषम अग्रवाल, देवीशंकर अवस्थथी और रामचन्द्र शुक्ल पुरस्कार से सम्मानित [[कवि]] एवं [[आलोचक]] हैं। आत्मकथा की संस्कृति इनकी सर्वप्रमुख आलोचना पुस्तक है। इसके अलावा निराशा में भी सामर्थ्य, जीने का उदात्त आशय,यही तुम थे,रघुवीर सहाय(मोनोग्राफ) आलोचना के क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ हैं। इनके कविता संग्रह एक सम्पूर्णता के लिए, एक ही चेहरा और रक्तचाप तथा अन्य कविताएँ हैं। वर्तमान में डॉ.हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।