"कुमारिल भट्ट": अवतरणों में अंतर

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* (1) '''श्लोकवार्तिक''' - यह प्रथम अध्याय के प्रथम पाद की व्याख्या है।
* (2) '''तंत्रवार्तिक''' - इसमें पहले अध्याय के दूसरे पाद से लेकर तीसरे अध्यायों की संक्षिप्त व्याख्या की गई है।
* (3) '''टुप्टीका''' - इसमें अंतिम नौ अध्यायों की संक्षिप्त व्याख्या की गई है। श्लोकवार्तिक तथा तंत्रवार्तिक में कुमारिल के असाधारण पांडित्य तथा प्रतिभा का परिचय मिलता है।. In ok
 
== कुमारिल भट्ट का दर्शन ==