"धौलपुर": अवतरणों में अंतर

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मुगल के पहले यह एक राजपूत रियासत थी । जो मुगल के बाद मे राना (जो की सामान्य राजपूत के लिए प्रयुक्त होता है) जाट वंश के अधिकार में आ गया । इसलिए अब धौलपुर भूतपूर्व जाट रियासत है। धौलपुर से निकट राजा मुचुकुंद के नाम से प्रसिद्ध गुफ़ा है जो गंधमादन पहाड़ी के अंदर बताई जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार मथुरा पर कालयवन के आक्रमण के समय श्रीकृष्ण मथुरा से मुचुकुंद की गुहा में चले आए थे। उनका पीछा करते हुए कालयवन भी इसी गुफ़ा में प्रविष्ट हुआ और वहाँ सोते हुए मुचुकुंद को श्रीकृष्ण ने उत्तराखंड भेज दिया। यह कथा श्रीमद् भागवत 10,15 में वर्णित है। कथाप्रसंग में मुचुकुंद की गुहा का उल्लेख इस प्रकार है।[1] धौलपुर से 842 ई. का एक अभिलेख मिला है, जिसमें चंडस्वामिन् अथवा सूर्य के मंदिर की प्रतिष्ठापना का उल्लेख है। इस अभिलेख की विशेषता इस तथ्य में है कि इसमें हमें सर्वप्रथम विक्रमसंवत् की तिथि का उल्लेख मिलता है जो 898 है। धौलपुर में भरतपुर के जाट राज्यवंश की एक शाखा का राज्य था। भरतपुर के सर्वश्रेष्ठ शासक सूरजमल जाट की मृत्यु के समय (1764 ई.) धौलपुर भरतपुर राज्य ही में सम्मिलित था। पीछे यहां एक अलग रियासत स्थापित हो गई।S
 
==धौलपुर के महाराजाओ की सूची==
 
* [[राणा कीरत सिंह]] - (1805 -1835)
* [[राणा भगवंत सिंह]] - (1835 - 1873)
* [[राणा निहाल सिंह]] - (1873 - 1901)
* [[राणा राम सिंह]] - (1901 -1911)
* [[राणा उदयभानु सिंह]] - (1911 - 1949)
* राणा [[हेमन्त सिंह]] - (1954 - वर्तमान)
 
==तसीमों इतिहास==