"उदयन (राजा)": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Yamuna river, Allahabad.jpg|अंगूठाकार|उदयन का खंडहर]]
'''उदयन''' [[चंद्रवंश]] काके राजा और सहस्रानीक के पुत्र थे। वत्स का नृपति, जिनकी राजधानी कौशांबी थी। कौशांबी [[इलाहाबाद]] जिले में नगर से प्राय: ५० किमी पश्चिम बसामे बसी थी, जहाँ आज भी [[यमुना]] के तीर कोसम गाँव में उसकेउनके खंडहर हैं।
 
उदयन [[संस्कृत साहित्य]] की परंपरा में महान प्रणयी हो गयागयेे है और उसकीउनकी उस साहित्य में [[स्पेनी साहित्य]] के प्रिय नायक [[दोन जुआन]] से भी अधिक प्रसिद्धि है। बार-बार [[संस्कृत]] के कवियों, नाटयकारोंनाट्यकारो और कथाकारों ने उन्हे अपनी रचनाओं का नायक बनाया है और उनकी लोकप्रियता के परिणामस्वरूप गाँवों में लोग निंरतर उनकी कथा प्राचीन काल में कहते रहे हैं। महाकवि [[भास]] ने अपने दो दो नाटकों-[[स्वप्नवासवदत्ता]] और [[प्रतिज्ञायौगंधरायण]]-में उन्हें अपनी कथा का नायक बनाया है। वत्सराज की कथा [[बृहत्कथा]] और [[सोमदेव]] के [[कथासरित्सागर]] में भी वर्णित है। इन कृतियों से प्रकट है कि उदयन वीणावादन में अत्यंत कुशल थे और अपने उसी व्यसन के कारण उन्हें [[उज्जयिनी]] में अवंतिराज चंडप्रद्योत महासेन का कारागार भी भोगना पड़ा। भास के नाटक के अनुसार वीणा बजाकर हाथी पकड़ते समय छदमगज द्वारा अवंतिराज ने उन्हें पकड़ लिया था। बाद में उदयन प्रद्योत की कन्या वासवदत्ता के साथ हथिनी पर चढ़कर वत्स भाग गयेे। उस पलायन का दृश्य द्वितीय शती ईसवी पूर्व के शुंगकालीन मिट्टी के ठीकरों पर खुदा हुआ मिला है। एस ऐसा ठीकरा [[काशी हिन्दू विश्वविद्यालय]] के भारत-कला-भवन में भी सुरक्षित है। कला और साहित्य के इस परस्परावलंबन से राजा की ऐतिहासिकता पुष्ट होती है।
 
वत्सराज उदयन नि:संदेह ऐतिहासिक व्यक्ति थे और उनका उल्लेख साहित्य और कला के अतिरिक्त पुराणों और बौद्ध ग्रंथों में भी हुआ है। उदयन [[महात्मा बुद्ध|बुद्ध]] के समकालीन थे और उनके तथा उनके पुत्र बोधी, दोनों ने तथागत के उपदेश सुने थे। बौद्ध ग्रंथों में वर्णित [[कौशांबी]] के बुद्ध के आवास पुनीत घोषिताराम से कौशांबों की खुदाई में उस स्थान की नामांकित पट्टिका अभी मिली है। उदयन ने मगध के राजा दर्शक की भगिनी पद्मावती और अंग के राजा दृढ़वर्मा की कन्या को भी, वासवदत्ता के अतिरिक्त, संभवत: ब्याहा था। बुद्धकालीन जिन चार राजवंशों-मगध, कोशल, वत्स, अवंति-में परस्पर दीर्घकालीन संघर्ष चला था उन्हीं में उदयन का वत्स भी था, जो कालांतर में अवंति की बढ़ती हुई सीमाओं में समा गया।