"ब्रह्मा": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary |
|||
पंक्ति 27:
ब्रह्मा की उत्पत्ति के विषय पर वर्णन किया गया है। ब्रह्मा की उत्पत्ति विष्नु की नाभी से निकले कमल में स्वयंभु हुइ थी। इसने चारो और देखा जिनकी वजह से उनके चार मुख हो गये। <ref>हेमाद्री संकल्प, खंड-१</ref>
भारतीय दर्शनशास्त्रो में निर्गुण, निराकार और सर्वव्यापी माने जाने वाली चेतन शक्ति के लिए ब्रह्म शब्द प्रयोग किया गया है। <ref>http://vishwahindusamaj.com/tatva2.htm</ref><ref>http://www.shriprannathgyanpeeth.org/personality_of_lord_hi.htm</ref>इन्हे परब्रह्म या परम तत्व भी कहा गया है। पूजापाठ करने वालो के लिए ब्राह्मण शब्द प्रयोग किया गया है।
==पुत्र==
ब्रहमा के छः पुत्र थे- [[सनक]],[[सनन्दन]],[[सनातन]],[[सन्तकुमार]],[[नारद]] और [[दक्ष]]।
==इतिहास==
|