"वर्साय की सन्धि": अवतरणों में अंतर

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6. '''अपमानजनक संधि :''' यह संधि जर्मनी के लिए राष्ट्रीय अपमान का कारण थी। [[कैसर विलियम]] की अपदस्ता, भारी क्षति पूर्ति राशी की वसूली। मित्र राज्यों का जर्मन तटों, करखोनो, नदियों अदि पर अधिकार और सेनाओं की जर्मनी में उपस्तिथि, जर्मनी का विभाजन,उपनिवेशों की मित्र देशों द्वारा लूट तथा भेदभावपूर्ण , असमान,अन्यायपूर्ण शर्तें अदि सभी अपमानजनक तो थे ही। संधि पत्रों पर हस्ताक्षर के लिए आने वाले जर्मन प्रतिनिधियों के साथ क्लेमेंशो का अभद्र व्यव्हार, उन्हें कैदियों के सामान रखना, जनता द्वारा गालियाँ, सड़े हुए फल, ईंटे,पत्थर को उन पर फेकना अदि प्रतिनिधियों का अपमान नहीं बल्कि जर्मनी का अपमान था।
 
67. '''विश्वासघाती संधि''' : वार्साय की संधि नैतिक दृष्टि से अनुचित व जर्मनी के साथ विश्वासघात मानी गई। जर्मनी ने विल्सन के 14 सूत्रों के आधार पर युद्ध कर संधि करना स्वीकार किया था लेकिन वार्साय की संधि में विल्सन के इन सूत्रों का खुलेआम उल्लंघन हुआ था। जर्मनी के साथ राष्ट्रीयता के सिद्धांत का पालन नहीं हुआ था। उस पर बहुत सी शर्ते लाद दी गई थी। लेकिन विजेताओं को उससे मुक्त रखा गया है। विल्सन के तीसरे सूत्र के अनुसार अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की समस्त रूकावटे दूर करने का प्रयत्न करना था, किन्तु जर्मनी की सामूहिक स्व्तंत्रता सुरक्षित नहीं थी। उसका अंतर्राष्ट्रीय व्यापार वर्षों तक मित्रराष्ट्रों के नियंत्रण में रहा। 14 सूत्रों में सभी राष्ट्रों के शस्त्रों के कमी करने का सुझाव दिया गया था, किन्तु मित्र राष्ट्रों ने अपने शस्त्रों में कमी किए बिना जर्मनी की सैनिक शक्ति को अत्यंत सीमित कर दिया। मित्र राष्ट्रों ने विल्सन के 14 सूत्रों का पालन उसी सीमा तक किया जहाँ तक उन्हें लाभ था। इस तरह वार्साय की संधि में जर्मनी के साथ विश्वासघात किया गया। इस विश्वासघात का बदला लेने के लिए आगे जर्मनी ने युद्ध किया।
 
78. '''संधि के प्रणेताओं में वैचारिक संघर्ष''' : वार्साय की संधि ने तीन बड़ों (अमेरिका, इंग्लैण्ड, फ्रांस) के विचाराें और उद्देश्यों में संघर्ष की स्थिति मौजूद थी। विल्सन के उच्च परन्तु अव्यावहारिक विचार, क्लिमेंसो के राष्ट्रवादी व यथार्थवादी मांगों तथा लायड जार्ज के अवसरवादी उद्देश्यों के बीच विरोध था, बावजूद इसके वार्साय की संधि पर इनकी सहमति थी जो इनके साम्राज्यवादी व शोषण की मानसिकता को प्रतिबिबिंत करता है। लॉगसन के अनुसार “विल्सन के आदर्शवाद और सम्मेलन के भौतिकवाद में तीव्र विरोध था और ज्यादातर मामलों में भौतिकवाद विजयी रहा।”
 
89. '''संघष के नये दौर की शुरूआत''' : वार्साय की संधि ने यूरोपीय राष्ट्रों के बीच विश्वव्यापाी सत्ता के लिए नए संघर्ष की शुरूआत की। 1919 तक अन्तर्राष्ट्रीय विधि किसी देश की सरकार तथा उसके नागरिकों की संपत्ति में भेद मानती थी। किन्तु वार्साय की संधि के अनुसार युद्धरत देश अपने तथा अपने मित्र राष्ट्रों की सीमा में किसी शत्रु देश के व्यक्ति की किसी प्रकार की संपति जब्त कर सकता था। यदि वह युद्ध में विजयी हुआ तो पराजित देश की सरकार को अपने नागरिकों की इदस प्रकार जब्त की गई संपत्ति की क्षतिपूर्ति करने के लिए बाध्य कर सकता था। यह एक नया दृष्टांत था।
 
910. '''वाइमर गणतंत्र के प्रति घृणा''' : युद्ध के बाद जर्मनी में [[वाइमर गणतंत्र]] की स्थापना हुई और उसे वार्साय की संधि से जोड़कर देखा गया। तमाम उदारवादी विशेषताओं के बीच इसे शत्रु पक्ष द्वारा स्थापित संस्था माना गया। इसलिए जर्मनी में प्रजातंत्र आरंभ से ही द्वन्द्व, घृणापात्र व शत्रुपक्ष की व्यवस्था बन गया।
 
1011. '''आत्मनिर्णय के सिद्धांत की अवहेलना''' : इटली की सीमाएं राष्ट्रवाद के सिद्धांत पर निर्धारित नहीं की गई, न ही पोलैण्ड की भूमि पर सभी नागरिक निर्विवादित रूप से पोल थे। इसी प्रकार तुर्की के साम्राज्य के भागों को सुरक्षित संप्रभुता का वचन नहीं दिया गया। राष्ट्रसंघ विशाल व लघु राज्यों के समान राजनीतिक संप्रभुता दिलाने में असमर्थ रहा। इस संधि के नैतिक पक्ष व युक्ति संगतता के विषय में ए.जे.पी. टेलर का कथन है कि “प्रारंभ से ही वार्साय की संधि में नैतिक मान्यता का अभाव था। जर्मनी के विषय में आत्म निर्णय के सिद्धांत की अवहेलना की गई। राष्ट्रपति विल्सन के आत्मनिर्णय के सिद्धांत के अनुसार यूरोप के अनेक राष्ट्रों का पुनर्गठन किया गया था। इससे अनुसार एक ही राष्ट्र जाति, एक ही भाषा एवं सांस्कृतिक परंपरा वाले लोगों को मिलाकर उनका पृथक तंत्र बनाने का निश्चय किया गया। इसी आधार पर चेकोस्लोवाकिया, पोलैण्ड, यूगोस्लाविया के स्वतंत्र राज्यों का जन्म हुआ। किन्तु इस सिद्धांत का जर्मनी, ऑस्ट्रिया और हंगरी के संबंध में पालन नहीं किया गया। जर्मनी के हजारों नागरिकों को जर्मन साम्राज्य से पृथक करके अन्य राज्यों के अधीन कर दिया गया।” 1918 ई. में जब ऑस्ट्रिया के जर्मनों ने जर्मन-ऑस्ट्रिया गणतंत्र की स्थापना की और जर्मन के गणतंत्र के साथ सम्मिलित होने व लैंड को मिलाने की इच्छा व्यक्त की तब मित्र राज्यों द्वारा सितम्बर 1919 ई. में दोनों राज्यों के सम्मिलन पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इस प्रकार मित्र राष्ट्रों द्वारा स्वयं द्वारा स्वीकृत सिद्धांत को जर्मनी के विषय में क्रियान्वित न कर जर्मन नागरिकों को निराश किया गया। बटलरने अनुसार “आत्मनिर्णय के सिद्धांत का युक्तियुक्त प्रयोग न करना पेरिस की व्यवस्था में अंतर्निहित कमजोरी का द्योतक था।”
 
== वर्साय की संधि एवं द्वितीय विश्वयुद्ध/ ==