"वैदिक साहित्य": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन Android app edit
छो Pragsamiksha (Talk) के संपादनों को हटाकर NehalDaveND के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
पंक्ति 1:
{{स्रोतहीन|date=जुलाई 2016}}
'''वैदिक साहित्य''' [[वैदिकभारतीय संस्कृति]] के प्राचीनतम स्वरूप पर प्रकाश डालने वाला तथा विश्व का प्राचीनतम् [[साहित्य]] है। वैदिक साहित्य को 'श्रुति' भी कहा जाता है, क्योंकि सृष्टिकर्ता [[ब्रह्मा]] ने विराटपुरुष भगवान् की वेदध्वनि को सुनकर ही प्राप्त किया है। अन्य [[ऋषि|ऋषियों]] ने भी इस साहित्य को श्रवण-परम्परा से हीे ग्रहण किया था। वेद के मुख्य मन्त्र भाग को [[संहिता]] कहते हैं। वैदिक साहित्य के अन्तर्गत ऊपर लिखे सभी वेदों के कई [[उपनिषद]], [[आरण्यक]] तथा [[उपवेद]] आदि भी आते जिनका विवरण नीचे दिया गया है।<ref name="वाईवेस">{{cite web |url= http://www.vivacepanorama.com/vedic-literature/
 
|title= वैदिक साहित्य
पंक्ति 25:
* [[आरण्यक]] ([[कर्मकाण्ड]] के पीछे के उद्देश्य की विवेचना)
 
जब हम चार वेदों की बात करते हैं तो उससे संहिताभागसंहिता भाग का ही अर्थ लिया जाता है। उपनिषद (ऋषियों की विवेचना), ब्राह्मण (अर्थ) आदि मंत्र भाग (संहिता) के सहायक ग्रंथ समझे जाते हैं। वेद ४ हैं - [[ऋक्]], [[साम]], [[यजुर्वेद|यजुः]] और [[अथर्ववेद|अथर्व]]।
 
== वैदिक साहित्य का काल ==