"शुक्राचार्य": अवतरणों में अंतर

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एक पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि शुक्राचार्य ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी और उनसे मृतसंजीवनी मंत्र प्राप्त किया था, जिस मंत्र का प्रयोग उन्होंने देवासुर संग्राम में देवताओं के विरुद्ध किया था जब असुर देवताओं द्वारा मारे जाते थे, तब शुक्राचार्य उन्हें मृतसंजीवनी विद्या का प्रयोग करके जीवित कर देते थे। यह विद्या अति गोपनीय ओर कष्टप्रद साधनाओं से सिद्ध होती है।
 
मृतसंजीवनी विद्या:- by: Dr.R.B.Dhawan (Shukracharya)
 
विनियोग - अस्य श्रीमृत्संजीवनी मंत्रस्य शुक्र ऋषि:, गायत्री छ्न्द:, मृतसंजीवनी देवता, ह्रीं बीजं, स्वाहा शक्ति:, हंस: कीलकं मृतस्य संजीवनार्थे विनियोग:।
मृतसंजीवनी महामंत्र :- ॐ ह्री हंस: संजीवनी जूं हंस: कुरू कुरू कुरू सौ: सौ: हसौ: सहौ: सोsहं हंस: स्वाहा। Dr.R.B.Dhawan (Shukracharya)
 
== इन्हें भी देखें==