"कोलकाता": अवतरणों में अंतर
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|publisher=The Indian Museum of Kolkata | url=http://www.indianmuseumkolkata.org/history.html | title=History of Indian museum | accessdate=2006-04-23}}</ref> [[विक्टोरिया मेमोरियल]] कोलकाता का प्रमुख [[कोलकाता के दर्शनीय स्थल|दर्शनीय स्थल]] है। यहां के संग्रहालय में शहर का इतिहास अभिलेखित है। यहां का [[भारतीय राष्ट्रीय पुस्तकालय]] भारत का एक मुख्य और बड़ा पुस्तकालय है। [[फाइन आर्ट्स अकादमी, कोलकाता|फाइन आर्ट्स अकादमी]] और कई अन्य कला दीर्घाएं नियमित कला-प्रदर्शनियां आयोजित करती रहती हैं।
शहर में नाटकों आदि की परंपरा जात्रा, थियेटर और सामूहिक थियेटर के रूप में जीवित है। यहां [[हिन्दी चलचित्र]] भी उतना ही लोकप्रिय है, जितना कि [[बांग्ला चलचित्र, जिसे [[टॉलीवुड]] नाम दिया गया है। यहां का फिल्म उद्योग [[टॉलीगंज]] में स्थित है। यहां के लंबे फिल्म-निर्माण की देन है प्रसिद्ध [[फिल्म निर्देशक]] जैसे [[सत्यजीत राय]](সত্যজিৎ রায়), [[मृणाल सेन]](মৃৃণাল সেন), [[तपन सिन्हा]](তপন সিন্হা) और [[ऋत्विक घटक]](ঋত্ত্বিক ঘটক)। इनके समकालीन क्षेत्रीय निर्देशक हैं, [[अपर्णा सेन]](অপর্ণা সেন) और [[रितुपर्णो घोष]](ঋতুপর্ণ ঘোষ)।
[[बंगाली खाना|कोलकाता के खानपान]] के मुख्य घटक हैं [[चावल]] और [[माछेर झोल]],<ref name=machhe>{{cite web
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|work=Festivals of Bengal
|publisher=West Bengal Tourism, Government of West Bengal
}}</ref> यह त्यौहार प्रायः [[अक्टूबर]] के माह में आता है, पर हर चौथे वर्ष [[सितंबर]] में भी आ सकता है। अन्य उल्लेखनीय त्यौहारों में [[जगद्धात्री]] पूजा, [[पोइला बैसाख]](পয়লা বৈশাখ), [[सरस्वती पूजा]], [[रथ यात्रा]], [[पौष पॉर्बो]], [[दीवाली]], [[होली]], [[क्रिस्मस]], [[ईद]], आदि आते हैं। सांस्कृतिक उत्सवों में [[कोलकाता पुस्तक मेला]], [[कोलकाता फिल्मोत्सव]], [[डोवर लेन संगीत उत्सव]] और [[नेशनल थियेटर फेस्टिवल]] आते हैं।
नगर में [[भारतीय शास्त्रीय संगीत]] और बंगाली लोक संगीत को भी सराहा जाता रहा है। [[१९वीं शताब्दी|उन्नीसवीं]] और [[बीसवीं शताब्दी]] से ही [[बंगाली साहित्य]] का आधुनिकिकरण हो चुका है। यह आधुनिक साहित्यकारों की रचनाओं में झलकता है, जैसे [[बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय]](বঙ্কিমচন্দ্র চট্টোপাধ্যায়), [[माइकल मधुसूदन दत्त]](মাইকেল মধুসূদন দত্ত), [[रविंद्रनाथ ठाकुर]](রবীন্দ্র নাথ ঠাকুর), [[काजी नज़रुल इस्लाम]](কাজী নজরুল ইসলাম) और [[शरतचंद्र चट्टोपाध्याय]](শরৎচন্দ্র চট্টোপাধ্যায়), आदि। इन साहित्यकारों द्वारा तय की गयी उच्च श्रेणी की साहित्य परंपरा को [[
साठ के दशक में [[भुखी पीढी (हंगरी जेनरेशन)]] नामके एक साहित्यिक अंदोलनकारीयों का आगमन हुया जिसके सदस्यों ने पुरे कोलकाता शहर को अपने करतुतों और लेखन के जरिये हिला दिया था। उसके चर्चे विदेशों तक जा पंहुचा था। उस अंदोलन के सदस्यों में प्रधान थे [[मलय रायचौधुरी]](মলয় রায়চৌধুরী), [[सुबिमल बसाक]](সুবিমল বসাক)। [[देबी राय]](দেবী রায়), [[समीर रायचौधुरी]](সমীর রায়চৌধুরী), [[फालगुनि राय]](ফাল্গুনী রায়), [[अनिल करनजय]](অনীল করঞ্জয়), [[बासुदेब दाशगुप्ता]](বাসুদেব দাশগুপ্ত), [[त्रिदिब मित्रा]](ত্রিদিব মিত্র), [[शक्ति चट्टोपध्याय]](শক্তি চট্টোপাধ্যায়) प्रमुख हस्तियां।
[[१९९०]] के आरंभिक दशक से ही भारत में जैज़ और रॉक संगीत का उद्भव हुआ था। इस शाइली से जुड़े कई बांग्ला बैण्ड हैं, जिसे जीबोनमुखी गान कहा जाता है। इन बैंडों में चंद्रबिंदु, कैक्टस, इन्सोम्निया, फॉसिल्स और लक्खीचरा आदि कुछ हैं। इनसे जुड़े कलाकारों में कबीर सुमन(কবীর সুমন), नचिकेता(নচিকেতা), अंजना दत्त(অঞ্জন দত্ত), आदि हैं।
== स्मारक एवं दर्शनीय स्थल ==
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