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'''कहार''' ([[अंग्रेजी]]: Kahar) भारतवर्ष में [[हिन्दू धर्म]] को मानने वाली एक [[जाति]] है। यह जाति यहाँ हिन्दुओं के अतिरिक्त [[मुस्लिम]] व [[सिक्ख]] सम्प्रदाय में भी होती है। हिन्दू कहार जाति का [[इतिहास]] बहुत पुराना है जबकि मुस्लिम सिक्ख कहार बाद में बने। इस समुदाय के लोग [[बिहार]] [[पंजाब (भारत)|, पंजाब]], [[हरियाणा]] और पश्चिमी [[उत्तर प्रदेश]] में ही पाये जाते हैं!
 
कहार स्वयं को [[कश्यप]] नाम के एक अति प्राचीन हिन्दू [[ऋषि]] के गोत्र से उत्पन्न हुआ बतलाते हैं। इस कारण वे अपने नाम के आगे जातिसूचक शब्द कश्यप लगाने में गर्व अनुभव करते हैं।बैसे महाभारत के भिष्म पितामह की दुसरी माता सत्यवती एक धीवर(निषाद)पुत्री थी,मगध साम्राट बहुबली जरासंध महराज भी चंद्रवंशी क्षत्रिय ही थे!बिहार,झारखंड,पं.बंगाल,आसाम में इस समाज को चंद्रवंशी क्षत्रिय समाज कहते है![[रवानी]] या रमानी [[चंद्रवंशी समाज|चंद्रवंसी]] समाज या कहार जाति की उपजाति या शाखा है। यह भारत के विभिन्न प्रांतों में विभिन्न नामों से पायी जाती है।
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[[श्रेणी:जाति]]"कहर" शब्द को खंडित कर कहार शब्द बना है।,कहर का एक इतिहास रहा है।महाभारत काल मे जब भारत का क्षेत्र फल अखण्ड आर्यबर्त में हुआ करता था ,उस समय डाकूओ का प्रचलन जोरो पर था,आज भी हमलोग देख सकते है,पर नाम बदलकर डाकू के जगह फ्रोड, जालसाज, घोटाले,छिनतई ने ले रखी है।,खैर उस समय डाकुओ द्वरा दुल्हन की डोली के साथ जेवरात लूटना एक आम बात थी,लोग भयभीत थे,अइसे में कहर टीम का गठन किया गया था ,डोली लुटेरों के रक्षा हेतुं, दुल्हन की डोली के साथ कहर टीम जाती थी और उनकी रक्षा करते हुवे मंजिल तक पहुँचते थे, आप सब ध्यान दे तो शादी की कार्ड पर डोली के आगे और पीछे तलवार लिए कुछ लोग की चित्रांकन देखने को मिलेगा,
समय बीतता गया और शब्दों में परिवर्तन होता गया ,कहर से कहार बन गया ,
कहर टीम को जब डोली के साथ जाना ही था ,रोजगार और आर्थिक जरुरतो के पूर्ण के लिए कुछ लोग डोली भी खुद ही उठाने का निर्णय लिए थे
यही इतिहास रहा है।
 
कहार को संस्कृत में 'स्कंधहार ' कहते हैं....जिसका तात्पर्य होता है,जो अपने कंधे पर भार ढोता है...अब आप 'डोली' (पालकी) उठाना भी कह सकते हो...जोकि ज्यातर हमारे पुर्वज राजघराने की बहु-बेटी को डोली पे बिठाकर एक स्थान से दुसरे स्थान सुरक्षा के साथ वीहर-जंगलो व डाकुओ व राजाघरानें के दुश्मनों से बचाकर ले जाते थे...कर्म संबोधन कहार जाति कमजोर नहीं है...ये लोग अपनी बाहु-बल पे नाज करता है...और खुद को बिहार,झारखंड,प.बंगाल,आसाम में चंद्रवंशी क्षत्रिय कहलाना पसंद करते है...ये समाज जरासंध के वंसज़ है...
 
दरअसल वर्तमान में कहार वह जाति है जो कृर्षि का काम करती थी...खासतौर से पानी के तालाब में सिंघाड़े की पैदावार करने,मछली पकड़ने और पालकी ढोने के कार्य करना कहारों का मुख्य पेशा हुआ करता था...इस जाति के लोग उलॆखित कार्य करते हुए पाए जाते थे...यही इनका परम्परागत पेशा था...विभिन्न प्रकार के कार्यों को इनके द्वारा किये जाने के कारण स्वाभाविक है कि अलग-अलग जातियां एवं उपजातियां भी अलग-अलग नामो से अस्तित्व में आ गई होंगी...आज हम इस तरह के कार्य करने वालो को अनेक नामों से जानते हैं...
"https://hi.wikipedia.org/wiki/कहार" से प्राप्त