"प्राकृतिक संसाधन": अवतरणों में अंतर

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एक राष्ट्र के राजनीतिक प्रभाव को तय करते हुए, उस देश के प्राकृतिक संसाधन अक्सर वैश्विक आर्थिक प्रणाली में उसकी संपत्ति का निर्धारण करते हैं। [[विकसित राष्ट्र]] ([[:en:Developed nations|Developed nations]]) वे कहलाते हैं जिनकी निर्भरता कुदरती संसाधनों पर कम होती है, क्योंकि उत्पादन हेतु वे बुनियादी पूंजी अधिक निर्भर करते हैं। लेकिन, कुछ लोग एक [[संसाधन विपदा]] ([[:en:resource curse|resource curse]]) की सम्भावना देखते हैं, जहां आसानी से प्राप्त होने वाले कुदरती संसाधनों की वजह से राजनैतिक भ्रष्टाचार पनपता है जो उस राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के भविष्य पर चोट करता है। राजनीतिक भ्रष्टाचार राष्ट्र की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है क्योंकि आर्थिक रूप से लाभदायक कार्यो की बजाय कीमती समय अन्य अनुत्पादक कामों में नष्ट होता है। ज़मीन के जो हिस्से प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर हैं उनपर मालिकाना हक रखने की प्रवृत्ति भी देखने में आती है।
 
हाल के वर्षों में प्राकृतिक पूँजी का ह्रास तथा [[सतत विकास|दीर्घकालिक विकास]] की ओर स्थानांतरण [[विकास एजेंसियां|विकास एजेंसियों]] ([[:en:development agencies|development agencies]]) का ज़्यादा ध्यान रहा है। [[वर्षा वन]] ([[:en:rainforest|rainforest]]) प्रदेशो में यह विशेष चिंता का विषय है क्योंकि यहाँ पर पृथ्वी की सबसे अधिक [[जैव विविधता]] होती है और इस जैविक प्राकृतिक पूंजी की जगह कोई नहीं ले सकता.[[प्राकृतिक पूँजीवाद]] ([[:en:natural capitalism|natural capitalism]]), [[पर्यावरणवाद]] ([[:en:environmentalism|environmentalism]]), [[पारिस्थितिकी आंदोलन]] ([[:en:ecology movement|ecology movement]]) तथा [[ग्रीन पार्टीज़|ग्रीन पार्टियों]] ([[:en:Green Parties|Green Parties]]) का ध्यान सबसे अधिक प्राकृतिक संसाधनों के [[ऊर्जा संरक्षण|संरक्षण]] पर है। कुछ लोग इस ह्रास को विकासशील राष्ट्रों में सामाजिक अशांति एवं संघर्ष के प्रमुख कारण के रूप में देखते हैहैं।
 
== इन्हें भी देखें ==