"प्राणायाम": अवतरणों में अंतर

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== कपालभाति प्राणायाम ==
सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन में बैठें। और साँस को बाहर फेंकते समय पेट को अन्दर की तरफ धक्का देना है, इस में सिर्फ् साँस को छोडते रहना है। दो साँसो के बीच अपने आप साँस अन्दर चली जायेगी जान-बूझ कर साँस को अन्दर नहीं लेना है। कपाल कहते है मस्तिष्क के अग्र भाग को, भाती कहते है ज्योति को, कान्ति को, तेज को; कपालभाति प्राणायाम करने लगातार करने से चहरे का लावण्य बढाता है। कपालभाति प्राणायाम धरती की सन्जीवनि कहलाता है। कपालभाती प्राणायाम करते समय मुलाधार चक्र पर ध्यान केन्द्रित करना है। इससे मूलाधार चक्र जाग्रत हो के कुन्डलिनी शक्ति जाग्रत होने में मदद होती है। कपालभाति प्राणायाम करते समय ऐसा सोचना है कि, हमारे शरीर के सारे नगेटिव तत्व शरीर से बाहर जा रहे है। खाना मिले ना मिले मगर रोज कम से कम ५ मिनिट कपालभाति प्राणायाम करना ही है, यह द्रिढ संक्लप करना है।है।कपालभाति प्राणायाम<ref>{{Cite web|url=http://www.webaai.com/2018/04/blog-post14.html|title=कपालभाति प्राणायाम|last=|first=|date=|website=|language=|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref>
 
=== लाभ ===
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== विशेष प्राणायाम ==
== उज्जायी प्राणायाम ==
सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन में बैठें। सीकुडे हुवे गले से सास को अन्दर लेना है।<ref>{{Cite web|url=http://www.webaai.com/2018/06/ujjayi-pranayam.html|title=उज्जायी प्राणायाम|last=|first=|date=|website=|language=|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref>
 
=== लाभ ===
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== शीतली प्राणायम ==
 
सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन में बैठें। हमारे मुँह का " ० " आकार करके उससे जिव्हा को बाहर निकालना, हमारी जीव्हा भी " ० " आकार की हो जायेगी, उसी भाग से हवा अन्दर खीचनी है। और मुँह बन्द करके से साँस को नाक से बाहर छोड़ दे।<ref>{{Cite web|url=http://www.webaai.com/2018/04/shitali-pranayama.html|title=शीतली प्राणायाम|last=|first=|date=|website=|language=|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref>
 
===लाभ===