"जैन धर्म में भगवान": अवतरणों में अंतर

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:न रागद्वेषमोहाश्च यस्याप्तः स प्रकीर्त्यते।। ६।।
 
भूक, प्यास, बुढापा, रोग, जन्म, मरण, भय, घमण्ड, राग, द्वेष, मोह, निद्रा, पसीना आदि २८१८ दोष नहीं होते वही वीतराग देव कहें जाते हैं।{{sfn|जलज|२००६|प=८}}
 
==पंच परमेष्ठी==