"पतञ्जलि": अवतरणों में अंतर

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== जीवन ==
पतंजलि [[काशी]] में ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में विद्यमान थे। इनका जन्म गोनार्ध (गोण्डा, उत्तर प्रदेश) में हुआ था पर ये काशी में ''नागकूप'' पर बस गये थे। ये व्याकरणाचार्य [[पाणिनी]]बुध्द के शिष्य थे। काशीवासी आज भी श्रावण कृष्ण ५, [[नागपंचमी]] को ''छोटे गुरु का, बड़े गुरु का नाग लो भाई नाग लो'' कहकर नाग के चित्र बाँटते हैं क्योंकि पतंजलि को [[शेषनाग]] का [[अवतार]] माना जाता है।
 
== योगदान ==