"कुबेर": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:SAMA Kubera 1.jpg|right|thumb|300px|कुबेर|]]
'''कुबेर''' एक हिन्दू पौराणिक पात्र हैं जो धन के स्वामी (धनेश) व धनवानता के देवता माने जाते हैं। वे [[यक्ष|यक्षों]] के राजा भी हैं। वे उत्तर दिशा के दिक्पाल हैं और [[लोकपाल]] (संसार के रक्षक) भी हैं।
[[रामायण]] में '''कुबेर''' भगवान [[शंकर]] को प्रसन्न करने के लिए कुबेर ने हिमालय पर्वत पर तप किया। तप के अंतराल में शिव तथा पार्वती दिखायी पड़े। कुबेर ने अत्यंत सात्त्विक भाव से [[पार्वती]] की ओर बायें नेत्र से देखा। पार्वती के दिव्य तेज से वह नेत्र भस्म होकर पीला पड़ गया। कुबेर वहां से उठकर दूसरे स्थान पर चला गया। वह घोर तप या तो शिव ने किया था या फिर [[कुबेर]] ने किया, अन्य कोई भी देवता उसे पूर्ण रूप से संपन्न नहीं कर पाया था। कुबेर से प्रसन्न होकर शिव ने कहा-'तुमने मुझे तपस्या से जीत लिया है। तुम्हारा एक नेत्र पार्वती के तेज से नष्ट हो गया, अत: तुम एकाक्षीपिंगल कहलाओंगे। देवी [[भद्रा]] कुबेर की पत्नी थी।[1]
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