"मैसूर": अवतरणों में अंतर

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सन् 1336 में [[तुंगभद्रा नदी|तुंगभद्रा]] के पास [[विजयनगर साम्राज्य|विजयनगर]] नामक एक हिंदु राज्य उभरा। इसके संस्थापक [[हरिहर]] तथा [[बुक्क]] थे। इसके आठ राजाओं सिंहासन पर अधिकार कर लिया। उसकी मृत्यु के बाद उसके तीन पुत्रों, नरसिंह, कृष्णराय तथा अच्युतराय, ने बारी बारी से राजसता संभाली। सन् 1565 में [[बीजापुर]], [[गोलकुंडा]] आदि मुसलमान राज्यों के सम्मिलित आक्रमण से [[तालीफोटा का युद्ध|तालीफोटा की लड़ाई]] में विजयनगर राज्य का अंत हो गया।
 
18वीं शती में मैसूर पर मुसलमान शासक [[हैदर अली]] की पताका फहराई। सन् 1782 में उसकी मृत्यु के बाद 1799 तक उसका पुत्र [[टीपू सुल्तान]] शासक रहा। इन दोनों ने अंग्रेजों से अनेक लड़ाईयाँ लड़ी। [[श्रीरंगपत्तनम का युद्ध|श्रीरंगपट्टम् के युद्ध]] में टीपू सुल्तान की मृत्यु हो गई। तत्पश्चात् मैसूर के भाग्यनिर्णय का अधिकार अंग्रेजों ने अपने हाथ में ले लिया। किंतु राजनीतिक स्थिति निरंतर उलझी हुई बनी रही, इसलिये 1831 में हिंदु राजा को गद्दी से उतारकर वहाँ अंग्रेज कमिश्नर नियुक्त हुआ। 1881 में हिंदु राजा [[चामराजेंद्र]] गद्दी पर बैठे। 1894 में कलकत्ते में इनका देहावसान हो गया। महारानी के संरक्षण में उनके बड़े पुत्र राजा बने और 1902 में शासन संबंधी पूरे अधिकार उन्हें सौंप दिए गए। भारत के स्वतंत्र होने पर मैसूर नाम का एक पृथक् राज्य बना दिया गया जिसमें पास पास के भी कुछ क्षेत्र सम्मिलित कर दिए गए। भारत में राज्यों के पुनर्गठन के बाद मैसूर, [[कर्नाटक]] में आ गया।
 
== पर्यटन ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/मैसूर" से प्राप्त