"तैमूरलंग": अवतरणों में अंतर

इस्लाम के रक्षक
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दिल्ली के पास लोनी हिन्दू नगर था। किन्तु कुछ मुसलमान भी बंदियों में थे। तैमूर ने आदेश दिया कि मुसलमानों को छोड़कर शेष सभी हिन्दू बंदी इस्लाम की तलवार के घाट उतार दिये जायें। इस समय तक उसके पास हिन्दू बंदियों की संख्या एक लाख हो गयी थी। जब यमुना पार कर दिल्ली पर आक्रमण की तैयारी हो रही थी उसके साथ के अमीरों ने उससे कहा कि इन बंदियों को कैम्प में नहीं छोड़ा जा सकता और इन इस्लाम के शत्रुओं को स्वतंत्र कर देना भी युद्ध के नियमों के विरुद्ध होगा। तैमूर लिखता है-
 
:''इसलिये उन लोगों को सिवाय तलवार का भोजन बनाने के कोई मार्ग नहीं था। मैंने कैम्प में घोषणा करवा दी कि तमाम बंदी कत्ल कर दिये जायें और इस आदेश के पालन में जो भी लापरवाही करे उसे भी कत्ल कर दिया जाये और उसकी सम्पत्ति सूचना देने वाले को दे दी जाये। जब इस्लाम के गाजियों (काफिरों का कत्ल करने वालों को आदर जाहिलोंसूचक नाम) को यह आदेश मिला तो उन्होंने तलवारें सूत लीं और अपने बंदियों को कत्ल कर दिया। उस दिन एक लाख अपवित्र मूर्ति-पूजककाफिर कत्ल कर दिये गये।''
 
तुगलक बादशाह को हराकर तैमूर ने दिल्ली में प्रवेश किया। उसे पता लगा कि आस-पास के देहातों से भागकर हिन्दुओं ने बड़ी संख्या में अपने स्त्री-बच्चों तथा मूल्यवान वस्तुओं के साथ दिल्ली में शरण ली हुई हैं। उसने अपने सिपाहियों को इन हिन्दुओं को उनकी संपत्ति समेत पकड़ लेने के आदेश दिये।