"मानव का विकास": अवतरणों में अंतर

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मुख्य लेख: [[भूवैज्ञानिक समय-मान]]
 
पृथ्वी के 4.6 अरब साल इतिहास को भू-वैज्ञानिक कई खंडों में बांट कर देखते हैं।<ref>{{cite web|url=https://timesofindia.indiatimes.com/india/how-meghalaya-gave-its-name-to-4200-yrs-of-earths-age/articleshow/65098350.cms|title=Learning with the Times: How Meghalaya gave its name to 4,200 yrs of Earth’s age}}</ref> इन्हें कल्प (इयॉन), संवत (एरा), अवधि (पीरियड) और युग (ईपॉक) कहते हैं। इनमें सबसे छोटी इकाई है ईपॉक। मौजूदा ईपॉक का नाम [[होलोसीन]] ईपॉक है, जो 11700 साल पहले शुरू हुआ था। इस [[होलोसीन]] ईपॉक को तीन अलग-अलग कालों में बांटा गया है- अपर, मिडल और लोअर। इनमें तीसरे यानी लोअर काल को मेघालयन नाम दिया गया है।<ref>{{cite web|url=https://thewire.in/the-sciences/is-the-meghalayan-event-a-tipping-point-in-geology|title=Is the Meghalayan Event a Tipping Point in Geology?}}</ref>
 
मानवाकार सभी जीवाश्म भूगर्भ के विभिन्न स्तरों से प्राप्त हुई हैं। अतएव '''मानव विकास''' काल का निर्धारण इन स्तरों (शैल समूहों) के अध्ययन के बिना नहीं हो सकता। ये स्तर पानी के बहाव द्वारा मिट्टी और बालू से एकत्रित होने और दीर्घ काल बीतने पर शिलाभूत होने से बने हैं। इन स्तरों में जो भी जीव फँस गए, वो भी शिलाभूत हो गए। ऐसे शिलाभूत अवशेषों को जीवाश्म कहते हैं। जीवाश्मों की आयु स्वयं उन स्तरों की, जिनमें वे पाए जाते हैं, आयु के बराबर होती है। स्तरों की आयु को भूविज्ञानियों ने मालूम कर एक मापसूचक सारणी तैयार की है, जिसके अनुसार शैलसमूहों को 5 बड़े खंडों अथवा महाकल्पों में विभाजित किया गया :