"मीना कुमारी": अवतरणों में अंतर

टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 41:
[[1954]] से [[1956]] के बीच मीना कुमारी ने विभिन्न प्रकार की फिल्मों में काम किया। जहाँ ''चाँदनी चौक'' (1954) और ''[[एक ही रास्ता (1956 फ़िल्म)|एक ही रास्ता]]'' (1956) जैसी फिल्में समाज की कुरीतियों पर प्रहार करती थीं, वहीं ''अद्ल-ए-जहांगीर'' (1955) और ''हलाकू'' (1956) जैसी फिल्में तारीख़ी किरदारों पर आधारित थीं। 1955 की फ़िल्म ''[[आज़ाद (1955 फ़िल्म)|आज़ाद]]'', [[दिलीप कुमार]] के साथ मीना कुमारी की दूसरी फिल्म थी। ट्रेजेडी किंग और क्वीन के नाम से प्रसिद्ध दिलीप और मीना के इस हास्यास्पद फ़िल्म ने दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी। मीना कुमारी के उम्दा अभिनय ने उन्हें [[फ़िल्मफ़ेयर]] ने [[फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार]] के लिए नामांकित भी किया। फ़िल्म ''[[आज़ाद (1955 फ़िल्म)|आज़ाद]]'' के गाने "अपलम चपलम" और "ना बोले ना बोले" आज भी प्रचलित हैं।
 
===ट्रैजेडी क्वीन (1957-)===
[[1957]] में मीना कुमारी दो फिल्मों में पर्दे पर नज़र आईं। प्रसाद द्वारा कृत पहली फ़िल्म ''[[मिस मैरी (1957 फ़िल्म)|मिस मैरी]]'' में कुमारी ने [[दक्षिण भारत]] के मशहूर अभिनेता [[जेमिनी गणेशन]] और [[किशोर कुमार]] के साथ काम किया। प्रसाद द्वारा कृत दूसरी फ़िल्म ''[[शारदा (1957 फ़िल्म)|शारदा]]'' ने मीना कुमारी को भारतीय सिनेमा की ट्रेजेडी क्वीन बना दिया। यह उनकी [[राज कपूर]] के साथ की हुई पहली फ़िल्म थी। जब उस ज़माने की सभी अदाकाराओं ने इस रोल को करने से मन कर दिया था तब केवल मीना कुमारी ने ही इस रोल को स्वीकार किया था और इसी फिल्म ने उन्हें उनका पहला '''बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री''' का खिताब दिलवाया।