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===लक्ष्मीकांत===
लक्ष्मीकांत शांताराम कुदलकर का जनम ३ नवंबर १९३७ को लक्ष्मी पूजन के दिन हुआ था, अपने जन्म के दिन की वजह से, उनका नाम लक्ष्मी रखा गया, जो देवी लक्ष्मी के नाम पर था। उन्होंने अपने बचपन के दिन [[मुंबई]] के विले पार्ले (पूर्व) की मलिन बस्तियों में अत्यंत गरीबी के बीच बिताया। <ref>{{cite web|url=http://www.hindilyrics.net/profiles/laxmikant-pyarelal.html |title=लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल |publisher=हिंदीलीरिक्स.नेट |accessdate=५ अगस्त २०१६}}</ref> [प्रशस्ति पत्र की जरूरत] उनके पिता की मृत्यु उस समय हो थी जब वे बच्चे ही थे। अपने परिवार की खराब वित्तीय हालत के कारण वे अपने शैक्षणिक शिक्षा भी पूरी नहीं कर सके। [प्रशस्ति पत्र की जरूरत]। लक्ष्मीकांत के पिता के दोस्त, जो खुद एक संगीतकार थे उन्होंने लक्ष्मीकांत उनके बड़े भाई को संगीत सीखने की सलाह दी तदनुसार, लक्ष्मीकांत ने सारंगी बजाना सीखा और उनके बड़े भाई ने तबला बजाना सीखा। उन्होंने जाने-माने सारंगी खिलाड़ी हुसैन अली की सोहबत में दो साल बिताए।
 
लक्ष्मीकांत ने अपनी फिल्म कैरियर की शुरुआत एक बाल अभिनेता के रूप में हिंदी फिल्म भक्त पुंडलिक (1949) और आंखें (1950) फिल्म से की। उन्होंन कुछ गुजराती फिल्मों में काम किया। <ref name="आशोक२००६">{{cite book | author=अशोक डा.रानाडे | title=हिंदी फिल्म गीत: म्यूजिक बियॉन्ड बॉउंड्रीज़ | url=http://books.google.com/books?id=ZI1wqkWsIjYC&pg=PA310 | date=१ जनुअरी २००६ | publisher=बिब्लिओफिले साउथ एशिया | isbn=९७८-८१-८५००२-६४-४ | pages=310–}}</ref>
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प्यारेलाल रामप्रसाद शर्मा (जन्म सितंबर ३, १९४०) प्रसिद्ध बिगुल वादक पंडित रामप्रसाद शर्मा (जो बाबाजी के नाम से लोकप्रिय थे) के पुत्र थे, उन्होंने ने ही प्यारेलाल को संगीत की मूल बातें सिखाई थी। <ref>{{cite web|url=http://www.liquisearch.com/laxmikant-pyarelal/early_life/pyarelal |title= प्यारेलाल अर्ली लाइफ |publisher=liquisearch.com |accessdate=५ अगस्त २०१६}}</ref> उन्होंने ८ साल की उम्र से ही वायलिन सीखने शुरू कर दिया था और प्रतिदिन ८ से १२ घंटे का अभ्यास किया करते थे। उन्होंने एंथनी गोंजाल्विस नाम के एक गोअन [[संगीतकार]] से वायलिन बजाना सीखा। फिल्म अमर अकबर एंथनी ((फिल्म में संगीत लक्ष्मीकांत- प्यारेलाल का था)।१२ वर्ष की उम्र उनके परिवार की वित्तीय स्थिति काफी खराब हो गयी एवं उन्हें इस उम्र में स्टूडियो में काम करना पड़ा। प्यारेलाल को परिवार के लिए पैसे कमाने के लिए रंजीत स्टूडियो एवं अन्य स्टूडियो में वायलिन बजाना पड़ता था।
 
===संगीतकार जोड़ी का गठन===
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! वर्ष !! फिल्म !! गीत!! गायक (s)
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|१९६४||''[[दोस्ती (1964 फ़िल्म)|दोस्ती]]''||"राही मनवा दुःख की चिंता"||[[मोहम्मद रफी]]
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|१९६७||''[[मिलन]]''||"सावन का महीना"||[[मुकेश]], [[लता मंगेशकर]]
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{{फ़िल्मफ़ेयर लाइफ़ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार}}
{{फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार}}
 
 
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