"जहाँगीर": अवतरणों में अंतर
[अनिरीक्षित अवतरण] | [अनिरीक्षित अवतरण] |
Content deleted Content added
No edit summary टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
No edit summary टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 20:
| dynasty = [[चित्र:Fictional flag of the Mughal Empire.svg|border|22x20px]] [[मुग़ल]]
| father = [[अकबर]]
| mother = [[मरियम उज़-ज़मानी
| birth_date = 30 अगस्त 1569<ref>http://www.hindiaudionotes.in/2015/07/jahangir-history-biography-story-audio-notes-in-hindi.html?m=1</ref>
| birth_name = [[सलीम]]
पंक्ति 30:
|}}
◆ अकबर के तीन लड़के थे। '''सलीम''', मुराद और दानियाल (मुग़ल परिवार)। मुराद और दानियाल पिता के जीवन में शराब पीने की वजह से मर चुके थे। सलीम अकबर की मृत्यु केे बाद '''नुरुद्दीन मोहम्मद जहांगीर''' के उपनाम से सुल्तान बना।
सम्राट जहांगीर अपनी आत्मकथा 'तुजुक-ए-जहाँगीरी'में लिखते हैं कि गुलाब से इत्र निकलने की विधि नूरजहां बेगम की मां (अस्मत बेगम) ने आविष्कार किया था। जहांगीर चित्रकारी और कला का बहुत शौकीन था। उसने अपने हालात एक किताब तज्जुके जहांगीर में लिखे हैं। उसे शिकार से भी प्रेरित थी। शराब पीने के कारण अंतिम दिनों में बीमार रहता था। 28 अक्टूबर 1627 ई. में कश्मीर से वापस आते समय रास्ते में ही भीमवार नामक स्थान पर निधन हो गया। लाहौर के पास शहादरा में रावी नदी के किनारे दफनाया गया।▼
◆ जहांगीर का '''जन्म 30 अगस्त 1569''' में हुुुआ था। माता का नाम '''हरखाबाई/जोधाबाई''' था।
◆ अकबर ने अपने पुत्र का नाम सलीम सूफी संंत सेेेख सलीम चिश्ती के नाम पर रखा।
◆ '''''13 फरवरी 1587''''' में राजा '''भगवानदास''' की बेटी '''मानबाई/मानवती''' से विवाह हुआ।
◆ '''''1587''''' में राजा उदय सिंह की बेटी '''''जगत गोसाई''''' से हुआ था।
◆ जहांगीर का शासनकाल न्याय के लिए प्रसिद्ध था। इसलिए जहांगीर को '''न्याय की जंजीर''' के लिए याद किया जाता है। उसने 30 गज लंबी सोने की जंजीर से बंधी हुई घंटी आगरा के किले के शाहबुर्ज़ (शाही महल का प्रवेश द्वार) पर लगी हुई थी। जिस भी व्यक्ति को सम्राट से न्याय चाहिए था उसे घंटी बजानी होती थी।
◆ 1605 ई. में कई उपयोगी सुधार लागू किए। कान और नाक और हाथ आदि काटने की सजा रद्द कीं। शराब और अन्य नशा हमलावर वस्तुओं का हकमा बंद। कई अवैध महसूलात हटा दिए।
◆ '''''अप्रैल 1606 ई'''''. में जहांगीर के सबसे बड़े पुत्र '''''खुसरो''''' ने अपने पिता के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। जो आगरा से निकलकर पंजाब तक जा पहुंचा। खुसरो और जहांगीर की सेना के बीच युद्ध जालंधर के निकट '''''भैरावल''''' नामक मैदान में हुआ। खुसरो को हराकर बंदी बना लिया गया।
◆ खुसरों की सहायता करने वाले सिक्खों के 5वें गुरु '''अर्जुनदेव''' को फांसी दे दे गयी। खुसरो गुरु से गोइंदवाल में मिला था।
◆ अहमदनगर के वजीर '''मलिक अम्बर''' के विरुद्ध सफलता से खुश होकर जहांगीर ने खुर्रम को '''शाहजहां''' की उपाधि प्रदान की। 1614 ई. में राजकुमार खुर्रम ने मेवाड़ के राणा अमर सिंह को हराया।
◆ 1620 ई. में कानगड़ह स्वयं जहांगीर ने जीत लिया। 1622 ई. में कंधार क्षेत्र हाथ से निकल गया। शाह अब्बास ने इस पर अधिकार कर लिया।
'''नूरजहाँ''':- ईरान निवासी '''मिर्ज़ा गयास बेग''' की पुत्री नूरजहाँ का वास्तविक नाम '''मेहरुन्निसा''' था। 1594 ई. में नूरजहाँ का विवाह '''अलीकुली बेग''' से हुआ। जहांगीर ने एक शेर मारने के कारण अलीकुली बेग को '''शेर अफगान''' की उपाधि प्रदान की। 1607 में शेर अफगान की मेहरुन्निसा अकबर की विधवा '''सलीम बेगम''' की सेवा में नियुक्त हुई। सबसे पहले जहाँगीर ने नवरोज के त्यौहार पर मेहरुन्निसा को देखा और उसके सौंदर्य पर मुग्ध होकर '''1611 ई'''. में उससे विवाह कर लिया और उसे '''नूरजहां''' और '''नूरमहल''' की उपाधि दी और मुख्य रानी बना दिया। नूरजहाँ एक मात्र महिला थी जो किसी मुगल बादशाह के साथ गद्दी पर बैठती थी। आदेशो पर साइन करती थी। नूरजहाँ के सम्मान में '''चांदी के सिक्के''' जारी किये।
◆ जहाँगीर ने गियास बेग को '''शाही दीवान (बजीर)''' बनबाया और उसे एतमाद-उद-दौला की उपाधि दी। जहांगीर के शासनकाल में ईरानियों को उच्च पद प्राप्त हुए।
◆ नूरजहाँ की मां '''अस्मत बेगम''' ने '''गुलाब से इत्र''' निकलने की विधि खोजी थी।
▲
जहांगीर के समय को चित्रकला का स्वर्णकाल कहा जाता है।
|