"वक्रोक्ति सिद्धान्त": अवतरणों में अंतर

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'''वक्रोक्ति''' दो शब्दों 'वक्र' और 'उक्ति' की [[संधि]] से निर्मित शब्द है। इसका शाब्दिक अर्थ है- ऐसी उक्ति जो सामान्य से अलग हो। '''टेढा कथन अर्थात जिसमें लक्षणा शब्द शक्ति हो।[[भामह]]''' ने वक्रोक्ति को एक [[अलंकार]] माना था। उनके परवर्ती '''[[कुंतक]]''' ने वक्रोक्ति को एक संपूर्ण सिद्धांत के रूप में विकसित कर काव्य के समस्त अंगों को इसमें समाविष्ट कर लिया। इसलिए कुंतक को '''वक्रोक्ति संप्रदाय''' का प्रवर्तक आचार्य माना जाता है।
 
== ऐतिहासिक विकास ==