"चीन की साम्यवादी क्रांति": अवतरणों में अंतर

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==चीन में साम्यवादी क्रांति की परिस्थितियाँ एवं विकास==
1917 में हुई रूस की [[रूसी क्रांति|बोल्शेविक क्रांति]] के प्रभाव से चीनी भी अछूता न रहा। 1919 में पेकिंग के अध्यापकों व छात्रों ने [[साम्यवाद]], [[मार्क्सवाद]] के अध्ययन के लिए एक संस्था की स्थापना की। इन्हीं व्यक्तियों में माओत्से तुंग भी शामिल था जो आगे चलकर चीनी साम्यवादी दल का नेता बना। 1919 में इन्हीं लोगों के प्रयास से चीनी साम्यवादी दल (कुंगचांगतांग) की स्थापना हुई। शीघ्र ही [[कैंटन|कैंट]], [[शंघाई]] और [[हूनान]] प्रांतों में भी कम्यूनिस्ट पार्टी की शाखाएँ कायम हो गई और 1921 में शंघाई में इन सब शाखाओं का प्रथम सम्मेलन हुआ जिसमें विदेशी आधिपत्य से चीन को मुक्ति दिलाना लक्ष्य घोषित किया गया।
 
[[कैंटन|न]], [[शंघाई]] और [[हूनान]] प्रांतों में भी कम्यूनिस्ट पार्टी की शाखाएँ कायम हो गई और 1921 में शंघाई में इन सब शाखाओं का प्रथम सम्मेलन हुआ जिसमें विदेशी आधिपत्य से चीन को मुक्ति दिलाना लक्ष्य घोषित किया गय[[हूनान|R RANGBAZZ,RINKI]]<nowiki/>ा।
 
इस साम्यवादी विचारधारा ने चीन के उदार राष्ट्रवादियों को भी प्रभावित किया जिनमें [[सनयात सेन]] भी शामिल थे। वस्तुतः डॉ॰ सनयात सेन चीन को संगठित करने के लिए विदेशी सहायता प्राप्त करना चाहता था लेकिन पश्चिम के साम्राज्यवादी राज्यों ने उनकी कोई मदद नहीं की अंततः वह [[सोवियत संघ]] की ओर आकृष्ट हुआ। रूस ने साम्यवादी प्रसार के लोभ में चीन के प्रति सहानुभूति जताई और उसे हर तरह की सहायता देने का आश्वासन दिया। इसी संदर्भ में 1921 ई. में कॉमिन्टर्न के प्रतिनिधि मेरिंग ने सनयात सेन से मुलाकात कर आपसी सहयोग की चर्चा की।