"कण्व वंश": अवतरणों में अंतर
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[[शुंग वंश]] के अन्तिम शासक देवभूति के मन्त्रि वसुदेव ने उसकी हत्या कर सत्ता प्राप्त कर '''कण्व वंश''' की स्थापना की। कण्व वंश ने ७५इ.पू. से ३०इ.पू. तक शासन किया। वसुदेव [[पाटलिपुत्र]] के कण्व वंश का प्रवर्तक था। वैदिक धर्म एवं संस्कृति संरक्षण की जो परम्परा शुंगो ने प्रारम्भ की थी। उसे कण्व वंश ने जारी रखा। इस वंश का अन्तिम सम्राट
इस वंश के चार शासक हुए - वासुदेव (संस्थापक),,भूमिपुत्र, नारायण, सुशर्मा(अन्तिम)
पुराणों में इन्हें शुंगभृत्य कहा गया है। यह ब्राहम्ण वंश था। कण्व वंशी शासकों का राज्य मगध एवं उसके आसपास के क्षेत्र तक सीमित रह गया था।
[[श्रेणी:बिहार का इतिहास]]
[[श्रेणी:बिहार के राजवंश]]
कहा जाता है कि इन्होने शुंग वंश के शासकों के क्षेत्र को हड़पने की कोशिश नही की, बल्कि उन्हे अपने अधीन कर लिया।
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