"मैणा-मवालस्यूं-१, चौबटाखाल तहसील": अवतरणों में अंतर

जानकारी जोड़ी गयी
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छोNo edit summary
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 44:
उस जमाने में स्कूल तो नही थे लेकिन तब के लोग साक्षर थे फौज में भरती होंने वालों कॊ फौज में शिक्षा दी जाती थी और जो गाँव में थे उनको गुरूकुल में शिक्षा दी जाती थी गाँवों में पहले के महादेव मंदिर गुरूकुल के रुप में इसतेमाल होते थे और इसीलिए सन्यासी लोग गुरू शिष्य की परम्परा निभाते चले आ रहे है 1860 के बाद अंग्रेजों ने इंडियाएजुकेशन act निकाला जिसके फलस्वरूप अंग्रेजों ने इन गुरुकुलों कॊ बंद करने का हुक्म दिया
उस समय के गाँव की बसावट की शुरूवात श्रीनगर की तरफ़ से गढ़वाल के अन्य भागों की तरफ़ हुई ! मैणा गाँव में सबसे पहले बसने वाले मणु राम जी के पूर्वज राज़ पुरोहित रह चुके थे इसलिए स्वास्थ्य शिक्षा रोज़गार और व्यापार पूर्व पीढियों से चलता हुआ आ रहा था ! ऐतिहासिक तथ्यों से पता चलता है की तिब्बत के व्यापारी जल मार्गों से श्रीनगर तक सामान की आपूर्ति करते थे और उधर चीन में तिब्बती खच्चरों से सामान लाते थे समुद्री सीपियों की माला शंख मसाले गर्म कपड़े नमक और गुड़ इत्यादि ये लोग गढ़वाल में लाते थे और यंहा से ठेकेदार लोग मैदानों तक व्यापार करते थे
 
[[सीमारौला]] कंठल ननपंदेरी ठुलपंदेर इस गाँव कि प्रमुख जगह है
 
== इन्हें भी देखें ==