"आमेर दुर्ग": अवतरणों में अंतर

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लाल बलुआ पत्थर एवं संगमर्मर से निर्मित यह आकर्षक एवं भव्य दुर्ग पहाड़ी के चार स्तरों पर बना हुआ है, जिसमें से प्रत्येक में विशाल प्रांगण हैं। इसमें दीवान-ए-आम अर्थात जन साधारण का प्रांगण, दीवान-ए-खास अर्थात विशिष्ट प्रांगण, शीश महल या जय मन्दिर एवं सुख निवास आदि भाग हैं। सुख निवास भाग में जल धाराओं से कृत्रिम रूप से बना शीतल वातावरण यहां की भीषण ग्रीष्म-ऋतु में अत्यानन्ददायक होता था। यह महल कछवाहा [[राजपूत]] महाराजाओं एवं उनके परिवारों का निवास स्थान हुआ करता था। दुर्ग के भीतर महल के मुख्य प्रवेश द्वार के निकट ही इनकी आराध्या चैतन्य पंथ की [[देवी शिला]] को समर्पित एक मन्दिर बना है। आमेर एवं [[जयगढ़ दुर्ग]] [[अरावली पर्वतमाला]] के एक पर्वत के ऊपर ही बने हुए हैं व एक गुप्त पहाड़ी सुरंग के मार्ग से जुड़े हुए हैं।
 
[[फ्नोम पेन्ह]], [[कम्बोडिया]] में वर्ष २०१३ में आयोजित हुए [[विश्व धरोहर समिति]] के ३७वें सत्र में राजस्थान के पांच अन्य दर्गोंदुर्गों सहित आमेर दुर्ग को [[राजस्थान के पहाड़ी दुर्ग|राजस्थान के पर्वतीय दुर्गों]] के भाग के रूप में [[युनेस्को विश्व धरोहर स्थल]] घोषित किया गया है।
 
== नाम व्युत्पत्ति ==
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{{Cite web|url=https://www.jaipur.org.uk/forts-monuments/amber.html|title=आमेर फ़ोर्ट|accessdate=२० मार्च २०१४|publisher = जयपुर.ऑर्ग |language=अंग्रेज़ी}}</ref><ref name=Tour>{{Cite web|url=https://www.rajasthantourism.gov.in/Destinations/Jaipur/Amer.aspx |title= आमेर पैलेस [Amer Palace] |accessdate=३१ मार्च २०११|publisher= राजस्थान पर्यटन विभाग: भारत सरकार |language=अंग्रेज़ी}}</ref><ref name="iloveindia">{{cite web|url=http://www.iloveindia.com/indian-monuments/amber-fort.html|title=आमेर फ़ोर्ट [[Amer Fort]] |publisher=iloveindia.com |accessdate= १४ फ़रवरी २०१८ |language=अंग्रेज़ी |archivedate=}}</ref><ref>{{Cite web|url = http://amerjaipur.in/Amer-monuments-description.php?mid=4&name=Maota%20Sarover|title = माओठा सरोवर-आमेर-जयपुर [Maota Sarover -Amer-jaipur]|date = |accessdate = २५ सितम्बर २०१५|website = http://amerjaipur.in|publisher = अगम पारीख| |language=अंग्रेज़ी}}</ref> यही सरोवर आमेर के महलों की जल आपूर्ति का मुख्य स्रोत भी है। यह क्षेत्र बहुत पहले ढूंढाड़ नाम से जाना जाता था। राजस्थान के पूर्वी भाग में ढूंढ नदी बहती थी, जिस पर उससे लगे क्षेत्र का नाम ढूंढाड़ पड़ गया था। इस क्षेत्र में वर्तमान [[जयपुर जिला|जयपुर]], [[दौसा जिला|दौसा]], [[सवाई माधोपुर जिला|सवाई माधोपुर]], [[टोंक जिला|टोंक]] जिले एवं [[करौली जिला|करौली]] का उत्तरी भाग आता था।<ref>[https://www.mapsofindia.com/maps/rajasthan/rivers/jaipur.html जयपुर रिवर मैप]।मैप्स ऑफ इण्डिया।अभिगमन तिथि १८ फ़रवरी २०१८]</ref>
 
आमेर जयपुर नगर से लगभग लगा हुआ ही है और यहां का ऊष्म मरुस्थलीय जलवायु तथा ऊष्म अर्ध-शुष्क जलवायु का प्रभाव रहता है। "''BWh''/''BSh''",<ref>[[Media:World Köppen Map//upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/6/66/World_K%C3%B6ppen_Map.jpg| विश्व कोप्पन मानचित्र]]</ref> यहां वार्षिक वर्षा ६५० मि॰मी॰ (२६ इंच) <!--{{convert|650|mm|in}}--> होती है, किन्तु इसका अधिकांश भाग मानसून माहों, जून से सितम्बर के बीच में ही होता है। ग्रीष्मकाल में अपेक्षाकृत उच्च तापमान रहता है जिसका औसत दैनिक तापमान लगभग ३०° से॰ (८६° फ़ै॰)<!--{{convert|30|C|F}-->} होता है। मानसून काल में प्रायः भारी वर्षा आती हैं, किन्तु बाढ आदि की कोई स्थिति नहीं होती है। शीतकाल नवम्बर से फ़रवरी में अपेक्षाकृत आनन्ददायी रहते हैं। तब औसत तापमान १०-१५° से॰ (५०-५९° फ़ै॰)<!--{{convert|10|-|15|C|F}}--> तक रहता है जिसके संग सूक्ष्म या शून्य आर्द्रता रहती है। उस समय शीतलहर तापमान को जमाने की स्थिति के निकट तक ले जा सकता है। <ref>{{cite web|url=http://www.worldweather.org/066/c00531.htm|title=World Weather Information Service|accessdate=११ दिसम्बर २००९|language=अंग्रेज़ी}}</ref>
 
[[भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग|पुरातत्त्वविज्ञान एवं संग्रहालय विभाग]] के अधीक्षक द्वारा बताये गए वार्षिक पर्यटन आंकड़ों के अनुसार यहाँ ५००० पर्यटक प्रतिदिन आते हैं। वर्ष २००७ के आंकड़ों में यहां १४ लाख दर्शकों का आगमन हुआ था।<ref name="Publishing2008" />