"पीपल": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Ficus religiosa.JPG|<!-- left -->|212px|thumb|''पीपल की कोपलें'']]
'''पीपल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''सैकरेड फिग'', [[संस्कृत]]:''[[अश्वत्थ]]'') [[भारत]], [[नेपाल]], [[श्री लंका]], [[चीन]] और [[इंडोनेशिया]] में पाया जाने वाला [[बरगद]], या [[गूलर]] की जाति का एक
|title=पीपल:अनेक गुणों से युक्त वृक्ष|accessmonthday=[[६ नवंबर]]|accessyear=[[२००९]]|format=|publisher=वेब दुनिया|language=}}</ref>
इसके फल बरगद-गूलर की भांति बीजों से भरे तथा आकार में [[मूँगफली]] के छोटे दानों जैसे होते हैं। बीज [[राई]] के दाने के आधे आकार में होते हैं। परन्तु इनसे उत्पन्न वृक्ष विशालतम रूप धारण करके सैकड़ों वर्षो तक खड़ा रहता है। पीपल की छाया [[बरगद]] से कम होती है, फिर भी इसके पत्ते अधिक सुन्दर, कोमल और चंचल होते हैं। वसंत ऋतु में इस पर [[धानी रंग]] की नयी कोंपलें आने लगती है। बाद में, वह हरी और फिर गहरी हरी हो जाती हैं। पीपल के पत्ते जानवरों को चारे के रूप में खिलाये जाते हैं, विशेष रूप से [[हाथी|हाथियों]] के लिए इन्हें उत्तम चारा माना जाता है। पीपल की लकड़ी [[ईंधन]] के काम आती है किंतु यह किसी इमारती काम या फर्नीचर के लिए अनुकूल नहीं होती। स्वास्थ्य के लिए पीपल को अति उपयोगी माना गया है। [[पीलिया]], [[रतौंधी]], [[मलेरिया]], [[खाँसी]] और [[दमा]] तथा [[सर्दी]] और [[सिर दर्द]] में पीपल की टहनी, लकड़ी, पत्तियों, कोपलों और सीकों का प्रयोग का उल्लेख मिलता है।<ref>{{cite web |url=http://www.patrika.com/article.aspx?id=12592
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