"सिग्मंड फ्रायड": अवतरणों में अंतर

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सन् 1900 फ्रायड के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण वर्ष था। इसी वर्ष उनकी बहुचर्चित पुस्तक "इंटरप्रटेशन ऑफ़ ड्रीम" का प्रकाशन हुआ, जो उनके और उनके रोगियों के स्वप्‍नों के विश्लेषण के आधार पर लिखी गई थी। इसमें उन्होंने बताया कि सपने हमारी अतृप्त इच्छाओं का प्रतिबिम्ब होते हैं। इस पुस्तक ने उन्हें प्रसिद्ध बना दिया। कई समकालीन बुद्धिजीवी और मनोविज्ञानी उनकी ओर आकर्षित हुए। इनमें कार्ल जुंग, अल्फ्रेड एडलर, ओटो रैंक और सैनडोर फ्रैन्क्जी के नाम प्रमुख है। इन सभी व्यक्तियों से फ्रायड का अच्छा संपर्क था, पर बाद में मतभिन्नता हुई और लोग उनसे अलग होते गये।
 
सन् 1909 में क्लार्क विश्व विद्यालय के मशहूर मनोविज्ञानी जी.एस. हाल द्वारा फ्रायड को मनोविश्लेषण पर व्याख्यान देने का निमंत्रण प्राप्त हुआ, जो उनकी प्रसिद्धि में मील का पत्थर साबित हुआ. इसमें फ्रायड के अलावा युंग, व्रील, जोन्स, फेरेन्कजी तथा कई अन्य मशहूर मनोविज्ञानी उपस्थित थे। यहॉं से फ्रायड जल्द ही वापस लौट गए, क्योंकि अमेरिका का वातावरण उन्हें अच्छा नही लगा. यहाँ फ्रायड को पेट में गड़बड़ी की शिकायत रहने लगी थी, जिसका कारण उन्होंने विविध अमेरिकी खाद्य सामग्री को बताया.बताया।
जुंग और एडलर, फ्रायड के मनोविश्लेषणवाद के कई बिन्दुओं से सहमत थे। परन्तु फ्रायड द्वारा सेक्स पर अत्‍यधिक बल दिए जाने को उन्होंने अस्वीकृत कर दिया। इससे अलग-अलग समय में वे दोनों भी इनसे अलग हो गए। जुंग ने मनोविश्लेषण में सांस्कृतिक विरासत के दखल पर और एडलर ने सामाजिकता पर बल दिया। यद्यपि यह सही है की पेशेवर सहकर्मी उनसे एक-एक कर अलग हो रहे थे फिर भी उनकी प्रसिद्धि को इससे कोई फर्क नही पड़ा.पड़ा। सन् 1923 में फ्रायड के मुह में कैंसर का पता चला जिसका कारण उनका जरुरत से ज्यादा सिगार पीना बताया गया।
सन् 1933 में हिटलर ने जर्मनी की सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया.लिया। उसने साफ कहा कि फ्रायड वाद के लिए उसकी सत्ता में कोई जगह नही है। हिटलर ने फ्रायड की सारी पुस्तकों और हस्तलिपियों को जला दिया। वह शायद इससे भी अधिक बुरा व्यवहार करता लेकिन राजनीतिक दबाव और तात्कालीनतत्कालीन अमेरिकन राजदूत के हस्‍तक्षेप के बाद हिटलर ने फ्रायड से जबर्दस्‍ती एक कागज पर हस्ताक्षर करवाया कि सैनिकों ने उनके साथ कोई बुरा व्यवहार नही किया है। इसके बाद उन्हें वियना छोड़कर लन्दन जाने का आदेश दिया। लन्दन में उनका भव्य स्वागत हुआ.हुआ। उन्हें तुरंत ही रायल सोसाइटी का सदस्य बना लिया गया। यहाँ उन्होंने अपनी अंतिम पुस्तक "मोजेज एंड मोनेथिज्म" का प्रकाशन करवाया.करवाया।
 
फ्रायड ने मन या व्यक्तित्व के स्वरुप को गत्यात्मक माना है। उनके अनुसार व्यक्तित्व हमारे मस्तिष्क एवं शरीर की क्रियाओं का नाम है। फ्रायड के मानसिक तत्व होते हैं जो चेतन में नहीं आ पाते या सम्मोहन अथवा चेतना लोप की स्थिति में चेतन में आते हैं। इसमें बाल्य काल की इच्छाएं, लैंगिक इच्छाएं और मानसिक संघर्ष आदि से सम्बंधित वे इच्छाएं होती है, जिनका ज्ञान स्वयं व्यक्ति को भी नहीं होता .होता। इन्हें सामान्यतः व्यक्ति अपने प्रतिदिन की जिंदगी में पूरा नही कर पाता और ये विकृत रूप धारण करके या तो सपनों के रूप में या फिर उन्माद के दौरे के रूप में व्यक्ति के सामने उपस्थित होती है। फ्रायड के अनुसार व्यक्तित्व का गत्यात्मक पक्ष तीन अवस्थाओं द्वारा निर्मित होता है -
*१. इदं (Id )
*२. अहम् (ego)