"उच्चारण स्थान": अवतरणों में अंतर

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==घोष और अघोष==
व्यंजनों के वर्गीकरण में स्वर-तंत्रियों की स्थिति भी महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। इस दृष्टि से व्यंजनों को दो वर्गों में विभक्त किया जाता है - घोष और अघोष। जिन व्यंजनों के उच्चारण में स्वरतंत्रियों में कंपन होता है, उन्हें घोष या सघोष कहा जाता हैं। दूसरे प्रकार की ध्वनियां अघोष कहलाती हैं। स्वरतंत्रियों की अघोष स्थिति से अर्थात जिनके उच्चारण में कंपन नहीं होता उन्हें अघोष व्यंजन कहा जाता है।ghos aghos ko hum ak trick ke dvara bhi samajh sakte hain.jisko bolne main adhik vayu ka avaysakta hoti hai use aghos kahte hain. aur iske viprit jisme kam vayu lage use ghos varna kahte hain.है।
 
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