"ब्रजभाषा": अवतरणों में अंतर

छो 2405:204:A708:498B:0:0:D56:E8A4 (Talk) के संपादनों को हटाकर Raju Jangid के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 1:
''' ब्रजभाषा ''' मूलत: [[ब्रज]] क्षेत्र की बोली है। (श्रीमद्भागवत के रचनाकाल में "व्रज" शब्द क्षेत्रवाची हो गया था। विक्रम की 13वीं११वीं शताब्दी से लेकर 20वीं२०वीं शताब्दी तक [[भारत]] के मध्य देश की साहित्यिक भाषा रहने के कारण ब्रज की इस जनपदीय बोली ने अपने उत्थान एवं विकास के साथ आदरार्थ "भाषा" नाम प्राप्त किया और "ब्रजबोली" नाम से नहीं, अपितु "ब्रजभाषा" नाम से विख्यात हुई। अपने विशुद्ध रूप में यह आज भी आगरा, हिण्डौन सिटी,धौलपुर, मथुरा, मैनपुरी, एटा और अलीगढ़ जिलों में बोली जाती है। इसे हम "केंद्रीय ब्रजभाषा" भी कह सकते हैं।
 
ब्रजभाषा में ही प्रारम्भ में [[काव्य]] की रचना हुई। सभी भक्त कवियों ने अपनी रचनाएं इसी भाषा में लिखी हैं जिनमें प्रमुख हैं [[सूरदास]], [[रहीम]], [[रसखान]], [[केशव]], [[घनानंद]], [[बिहारी]], इत्यादि। फिल्मों के गीतों में भी ब्रजभाषा के शब्दों का प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है।