"स्वर्ग लोक": अवतरणों में अंतर

स्वर्ग का उल्लेख रघुवंशम् में
छो जानकारी जोड़ी गयी
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 11:
 
[[हिंदु]] धर्म में, [[संस्कृत]] शब्द '''स्वर्ग''' को [[मेरु पर्वत]] के ऊपर के लोकों हेतु प्रयुक्त होता है। यह वह स्थान है, जहाँ पुण्य करने वाला, अपने पुण्य क्षीण होने तक, अगले जन्म लेने से पहले तक रहता है। यह स्थान उन [[आत्मा]]ओं हेतु नियत है, जिन्होंने पुण्य तो किए हैं, परंतु उन्में अभी [[मोक्ष]] या [[मुक्ति]] नहीं मिलनी है। यहाँ सब प्रकार के आनंद हैं, एवं पापों से परे रहते हैं। इसकी राजधानी है [[अमरावती]], जिसका द्वारपाल है, [[इंद्र]] का वाहन [[ऐरावत]]। यहाँ के राजा हैं, [[इंद्र]], देवताओं के प्रधान।
 
बदरीनाथ से आगे स्वर्गलोक का द्वार कहा जाता है मेघनाद ने स्वर्ग जीता था केरल के राजा बलि ने स्वर्ग पर कब्जा किया था इन कथाओं के आधार पर पूर्वी एशिया ही स्वर्गलोक था याने इंडोनेशिया से लेकर जापान चीन कोरिया तिब्बत वर्मा थाईलेंड वियतनाम कम्बोडिया ये इलाके स्वर्गलोक थे ईसाई धर्म से पूर्व यँहा हिंदू थे जो इस बात का स्पष्ट संकेत करता है की यहि वह जगह है जिसे पौराणिक ग्रंथों में स्वर्गलोक कहा गया है
 
{{HinduMythology}}